जानिए सुआ नृत्य के बारे में

जानिए सुआ नृत्य के बारे में – सुआ नृत्य छत्तीसगढ़ की प्राचीन नृत्यो में से एक है जो इनकी पहचान है जो कि समूह में किया जाता है। स्त्री मन की भावना, उनके सुख-दुख की अभिव्यक्ति और उनके अंगों का लावण्य ‘सुवा नृत्य’ या ‘सुवना’ में देखने को मिलता है। ‘सुआ नृत्य’ का आरंभ दीपावली के दिन से ही हो जाता है। इसके बाद यह नृत्य अगहन मास तक चलता है।

जानिए सुआ नृत्य के बारे में
सुआ नृत्य का चित्र

सुआ नृत्य की उत्पत्ति कहां से हुई?

सुआ-कू-सुआ फिलीपींस का एक स्वदेशी नृत्य है जो पेड़ की तुलना लोगों से करता है — ट्रंक और शाखाओं का पतला आकार, कोमल पत्ते और सुंदर फूल।

सुआ गीत क्यों गाया जाता है?

सुआ गीत स्त्रीयों द्वारा गया जाने वाला गीत है इसमे स्त्री अपने मन की व्यथा को जब किसी को नहीं बता पति तब वहा सुआ गीत गेट है इसमे जो सुआ (तोता) होता है उसे ये अपने मन की सारी व्यथा बताती है उन्हें लगता है की वहा उनके प्रिय तक यह सन्देश अवश्य ही पंहुचा देगा

सुआ नृत्य किस जनजाति से संबंधित है

बार नृत्य छत्तीसगढ़ में निवास करने वाले कंवर जनजाति के द्वारा किया जाने वाला प्रसिद्ध पारंपरिक नृत्य है।

सुआ नृत्य कैसे करते हैं?

सुआ गीत में महिलाएं बाँस की टोकनी मे भरे धान के ऊपर सुआ अर्थात तोते कि प्रतिमा रख देती हैं और उसके चारों ओर वृत्ताकार स्थिति में नाचती गाती हैं। प्रेमिका बड़े सहज रुप से अपनी व्यथा को व्यक्त करती है। इसीलिये ये गीत मार्मिक होते हैं।

सुवा नृत्य कब मनाया जाता है?

‘सुआ नृत्य’ का आरंभ दीपावली के दिन से ही हो जाता है। इसके बाद यह नृत्य अगहन मास तक चलता है



सुआ नृत्य में कौन सा वाद्य यंत्र होता है?

सुआ नृत्य में किसी भी प्रकार के वाद्य यंत्रो का उपयोग नहीं किया जाता इसमे स्त्रीयां अपने गीत गेट है और अपने हाथों से ताली बजती है और उस ताली को वाद्ययंत्र के रूप में प्रयोग करती है, तली की आवाज अधिक आये इसके लिए वे कई बार लकड़ी के गुटको का भी प्रयोग करी है।

सुआ गीत के 10 पंक्तियां

 गीत की शुरू हमेसा “तरी नरी नहा नरी नहा नरी ना ना रे सुअना” से होती है

तरी नरी नहा नरी नहा नरी ना ना रे सुअना
कइसे के बन गे वो ह निरमोही
रे सुअना
कोन बैरी राखे बिलमाय
चोंगी अस झोइला में जर- झर गेंव
रे सुअना
मन के लहर लहराय
देवारी के दिया म बरि-बरि जाहंव
रे सुअना
बाती संग जाहंव लपटाय

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