महासमुंद कांग्रेस जिला अध्यक्ष डॉ रश्मि चंद्राकर ने जिले वासियों को बोरे बासी खाने की अपील की है । डॉ रश्मि चंद्राकर ने अपील करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने श्रमिक दिवस के अवसर पर राज्य वासियों से बोरे बासी खाने की अपील की है।
बोरे बासी पौष्टिकता से भरपूर: कांग्रेस जिला अध्यक्ष डॉ रश्मि चंद्राकर
कांग्रेस जिला अध्यक्ष डॉ रश्मि चंद्राकर ने कहा कि बोरे बासी छत्तीसगढ़ राज्य का पारंपरिक व्यंजन है ।1 मई को श्रमिक दिवस भी मनाया जाता है ।जैसा की विदित है कि राज्य के विकास में श्रमिकों का योगदान महत्वपूर्ण है। बोरे बासी भी पौष्टिकता से भरपूर और स्वास्थ्य के लिए हित कारक हैं ।
डॉ रश्मि चंद्राकर ने 1 मई मजदूर दिवस के अवसर पर श्रमिकों के प्रति सम्मान प्रकट करते हुए जिले के नागरिकों ,जनप्रतिनिधियों और अधिकारी कर्मचारियों से बोरे बासी खाने अपील की है ।
आगे डॉ रश्मि चंद्राकर ने कहा कि बोरे बासी का नाम जुबां पर आते ही छत्तीसगढ़ के लोगों के जेहन में बोरे बासी के साथ आम की चटनी अर्थात अथान की चटनी, भाजी, दही और बड़ी-बिजौड़ी की सौंधी-सौंधी खुशबू से मन आनंदित हो जाता है। मुंह में पानी और चेहरे में बोरे बासी खाने की लालसा और ललक स्पष्ट दिखाई देती हैं।
एक मई श्रमिक दिवस को पूरा छत्तीसगढ़ बोरे बासी तिहार के रूप में मनाया जाएगा। बोरे बासी तिहार का यह दूसरा वर्ष है।
मजदूर दिवस अब बोरे बासी तिहार
छत्तीसगढ़ में पहली बार वर्ष 2022 में एक मई मजदूर दिवस को बोरे बासी तिहार के रूप में मनाया गया। पहले वर्ष ही बोरे बासी तिहार को राज्य के हर वर्ग ने अपने मन से मनाया है। इस वर्ष भी पूरा राज्य बोरे बासी तिहार का इंतजार कर रहा है।
युवाओं में लोकप्रिय व्यंजन मोमोस और पिज्जा से ज्यादा स्वादिष्ट और सेहदमंद है। बोरे-बासी तिहार से नई पीढ़ी के लोगों को भी छत्तीसगढ़ की परंपरा और संस्कृति से जुड़ने का मौका मिलेगा।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की पहचान पूरे देश में वैसे तो राज्य के जनकल्याणकारी और राज्य की कला-संस्कृति, को बढ़ावा देने के लिए अभिनव पहल के लिए जाने जाते हैं। मुख्यमंत्री के द्वारा लोककल्याण और राज्य की मूल संस्कृति और रीति-रिवाजों को संरक्षण एवं संवर्धन की दृष्टि से शुरू की गई।
सभी योजनाओं और कार्यक्रमों को राज्य के सभी वर्ग के लोगों से पूरा समर्थन भी मिलते आया है। बोरे-बासी भी मुख्यमंत्री श्री बघेल के अभिनव पहल में एक है, जिसें लोगों का पूरा-पूरा सहयोग मिल रहा है।छत्तीसगढ़ में बोरे बासी प्रमुख व्यंजनों में से एक है।
अलग-अलग हिस्सों में अलग अलग बोरे बासी
राज्य के अलग-अलग हिस्सों में वैसे तो बोरे बासी भी अलग-अलग बनाई जाती है। राज्य के मैदानी क्षेत्रों में चावल के गरम पका भोजन को रात के समय ठंडा होने के बाद पानी में डूबा कर बनाया जाता है, जिसे सुबह नास्ता और भरपेट भोजन के रूप में खाया जाता है। इसी प्रकार बोरे-बासी लघुधान्य फसल जैसे कोदो, कुटगी, रागी और कुल्थी की भी बनाई जाती है।
बोरे-बासी में मौजूद पोषक तत्व
बोरे-बासी के इन सभी प्रकारों में प्रचुर मात्रा में प्रोटीन, फ्राइबर, एनर्जी और विटामिन्स, मुख्य रूप से विटामिन बी-12, खनिज लवण जैसे पोषक तत्व पाए जाते हैं। बोरे बासी, पिज्जा और मोमोस जैसे खाद्य पदार्थों से ज्यादा पौष्टिक,स्वादिष्ट और सेहदमंद है।
लघु धान्य रागी 100 ग्राम में प्रचुर मात्रा में पोषक तत्व पाया जाता है, जिसे इस तरह समझा जा सकता है। प्रोटिन सौ ग्राम में 7.3 ग्राम, फैट 1.3 ग्राम, एनर्जी 328 ग्राम, फ्राईबर 3.6 ग्राम, मिनिरल्स 2.7 ग्राम, कैल्सियम 344 ग्राम, आयरन 3.9 ग्राम मिलता है।
राज्य सरकार ने प्रदेश के किसानों के आय में वृद्धि करने के उदे्श्य से लधु धान्य कोदो, कुटकी, रागी का समर्थन मूल्य भी तय किया है। सरकारी तौर पर इन फसलों की खरीदी की शुरूआत होने से किसानों को उचित दाम मिल रहा है, जिससे कृषकों की आर्थिक स्थिति मजबूत हो रही है।