छत्तीसगढ़ में शिक्षा क्रांति: अब कोई स्कूल शिक्षकविहीन नहीं! छत्तीसगढ़ राज्य ने शिक्षा के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल करते हुए एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है। मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के कुशल नेतृत्व और दूरदर्शी नीतियों के चलते अब प्रदेश का कोई भी स्कूल शिक्षकविहीन नहीं रहा है। प्राथमिक से लेकर हायर सेकेंडरी तक हर शाला में योग्य शिक्षकों की नियुक्ति हो चुकी है।
✅ 80% की गिरावट: एकल शिक्षक शालाओं की संख्या में भारी कमी
राज्य में एक समय ऐसा था जब 453 विद्यालय पूरी तरह शिक्षकविहीन थे और 5936 विद्यालयों में केवल एक शिक्षक पदस्थ था। विशेष रूप से सुकमा, नारायणपुर और बीजापुर जैसे दूरस्थ और संवेदनशील जिलों में यह समस्या अत्यंत गंभीर थी।
लेकिन आज, एकल शिक्षकीय शालाओं की संख्या में 80% की कमी आ चुकी है। यह संभव हो सका है एक सशक्त रणनीति – युक्तियुक्तकरण (Rationalization) – के माध्यम से।
🎯 क्या है युक्तियुक्तकरण?
युक्तियुक्तकरण एक प्रक्रिया है जिसका उद्देश्य है:
- राज्य के शैक्षणिक संसाधनों का न्यायसंगत उपयोग
- शिक्षकों की तर्कसंगत पदस्थापना
- RTE अधिनियम और नई शिक्षा नीति के अनुरूप व्यवस्था
राज्य सरकार ने इसे तीन चरणों में – जिला, संभाग और राज्य स्तर पर लागू किया। परिणामस्वरूप, आज छत्तीसगढ़ का कोई भी स्कूल शिक्षकविहीन नहीं है।
🗣 मुख्यमंत्री की दूरदृष्टि
मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने इस उपलब्धि पर कहा:
“हमने यह ठान लिया था कि छत्तीसगढ़ में अब कोई बच्चा शिक्षक के बिना नहीं पढ़ेगा। यह केवल स्थानांतरण नहीं, बल्कि शिक्षा में न्याय की पुनर्स्थापना है। युक्तियुक्तकरण के माध्यम से हम एक मजबूत और समान शिक्षा प्रणाली की नींव रख रहे हैं।”
📌 आगे की योजना: 1207 प्राथमिक विद्यालयों पर फोकस
अब सरकार का ध्यान उन 1207 प्राथमिक विद्यालयों पर है जहां अभी भी एक ही शिक्षक कार्यरत है। इसके लिए:
- प्रधान पाठकों की पदोन्नति
- नए शिक्षकों की भर्ती
- तत्काल पदस्थापन
जैसी रणनीतियां बनाई गई हैं।
जिलेवार एकल शिक्षक प्राथमिक विद्यालय (प्रमुख आंकड़े):
जिला | विद्यालय |
---|---|
बस्तर | 283 |
बीजापुर | 250 |
सुकमा | 186 |
मोहला-मानपुर-चौकी | 124 |
कोरबा | 89 |
बलरामपुर | 94 |
नारायणपुर | 64 |
धमतरी | 37 |
सूरजपुर | 47 |
दंतेवाड़ा | 11 |
अन्य जिले | 22 |
इन सभी शालाओं में जल्द ही आवश्यकता के अनुसार शिक्षकों की नियुक्ति की जाएगी।
🌈 निष्कर्ष: शिक्षा में न्याय की ओर एक ऐतिहासिक कदम
युक्तियुक्तकरण केवल एक प्रशासनिक प्रक्रिया नहीं, बल्कि यह सामाजिक न्याय आधारित शिक्षा सुधार है, जिसका केंद्र बिंदु है – हर बच्चा, हर गांव, हर स्कूल।
छत्तीसगढ़ सरकार का यह प्रयास शिक्षा को न केवल समावेशी, बल्कि समान और सुलभ बनाने की दिशा में एक मजबूत पहल है।