छत्तीसगढ़ में देवगुड़ी संरक्षण: सांस्कृतिक और पर्यावरणीय धरोहर का संरक्षण

छत्तीसगढ़ में देवगुड़ी संरक्षण: सांस्कृतिक और पर्यावरणीय धरोहर का संरक्षण

छत्तीसगढ़ में वनसमृद्ध जनजातीय क्षेत्रों में स्थित देवगुड़ी स्थल न केवल राज्य की सांस्कृतिक धरोहर हैं, बल्कि ये महत्वपूर्ण पारिस्थितिकीय स्थल भी हैं। मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में राज्य सरकार ने इन स्थलों के संरक्षण और संवर्धन पर जोर दिया है, ताकि ये स्थलों को न केवल सांस्कृतिक बल्कि क्षेत्रीय पर्यटन में भी विकसित किया जा सके।

देवगुड़ी के सांस्कृतिक और पारिस्थितिकीय महत्व

देवगुड़ी स्थल जनजातीय समुदायों द्वारा पूजनीय स्थल होते हैं और सांस्कृतिक अनुष्ठानों का केंद्र होते हैं। ये स्थल जैव विविधता का अनूठा उदाहरण भी हैं, जहां दुर्लभ वनस्पति और जीव-जंतुओं को संरक्षण मिलता है। मृदा अपरदन को रोकने में सहायक, ये उपवन जनजातीय समुदायों की सांस्कृतिक पहचान को संजोए रखते हैं।

देवगुड़ी संरक्षण के लिए वन विभाग के प्रयास

छत्तीसगढ़ वन विभाग, राज्य जैव विविधता बोर्ड, और अन्य एजेंसियाँ इन देवगुड़ी स्थलों का संरक्षण कर रही हैं। विभाग ने अब तक 1,200 से अधिक देवगुड़ी स्थलों का दस्तावेजीकरण किया है और यहां साल, सागौन, बांस जैसे देशी प्रजातियों का रोपण किया जा रहा है। राज्य जैव विविधता बोर्ड के वरिष्ठ वैज्ञानिकों और वन अधिकारियों के अनुसार, इन स्थलों की जैव विविधता का दस्तावेजीकरण किया जा रहा है और शोध कार्य भी किए जा रहे हैं।

प्रमुख देवगुड़ी स्थल

छत्तीसगढ़ की प्रमुख देवगुड़ी में भंगाराम, डोकरी माता गुड़ी, सेमरिया माता, लोहजारिन माता, मावली माता गुड़ी, माँ दंतेश्वरी गुड़ी, और कंचन देवी गुड़ी शामिल हैं। प्रत्येक देवगुड़ी स्थल का अपना धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व है और ये जनजातीय आस्थाओं का प्रतीक हैं।

संरक्षण में आने वाली चुनौतियाँ

शहरीकरण, परंपरागत विश्वासों में कमी, अतिक्रमण, और जलाऊ लकड़ी का संग्रह जैसे कारकों के चलते इन उपवनों को संरक्षण में कठिनाइयाँ आ रही हैं। इसके बावजूद, छत्तीसगढ़ वन विभाग इन स्थलों को संरक्षित करने के लिए पूरी तरह से समर्पित है।

निष्कर्ष

छत्तीसगढ़ में देवगुड़ी स्थलों का संरक्षण राज्य की सांस्कृतिक और पर्यावरणीय धरोहर के संरक्षण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय और वन विभाग का यह प्रयास राज्य की जनजातीय पहचान को संजोए रखने और क्षेत्रीय पर्यटन को बढ़ावा देने में सहायक साबित हो रहा है।

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