सरगुजा तमोर पिंगला वन्यजीव अभयारण्य: छत्तीसगढ़ की जैव विविधता का अनमोल खजाना

Tamor Pingla Wildlife Sanctuary: A priceless treasure of biodiversity of Chhattisgarh

सरगुजा तमोर पिंगला वन्यजीव अभयारण्य: छत्तीसगढ़ की जैव विविधता का अनमोल खजाना

छत्तीसगढ़ के उत्तरी सीमा पर स्थित तमोर पिंगला वन्यजीव अभयारण्य प्राकृतिक सौंदर्य और जैव विविधता का अद्भुत केंद्र है। यह अभयारण्य सरगुजा जिले में स्थित है और सरगुजा वनवृत्त के अंतर्गत आता है। इसका कुल क्षेत्रफल लगभग 608 वर्ग किलोमीटर है। यह अभयारण्य 1978 में वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 की धारा 18 के तहत स्थापित किया गया।

Tamor Pingla Wildlife Sanctuary: A priceless treasure of biodiversity of Chhattisgarh

इस अभयारण्य का नाम यहां के दो प्रमुख आरक्षित वन खंडों—तमोर और पिंगला—के नाम पर रखा गया है। तमोर खंड का नाम तमोर पहाड़ से और पिंगला खंड का नाम पिंगला नदी से प्रेरित है।


प्राकृतिक विशेषताएँ और भौगोलिक महत्व

यह अभयारण्य रेहंड (रेणुका) नदी का जलग्रहण क्षेत्र है, जो सोन नदी की एक प्रमुख सहायक नदी है। यहां की नदी-घाटियाँ और घने जंगल क्षेत्र को जलवायु संतुलन में योगदान करते हैं।

  1. रेहंड नदी का उद्गम:
    रेहंड नदी सरगुजा जिले के मतरिंगा पहाड़ी से निकलती है और टमकी ग्राम के पास लफरी घाट जलप्रपात का निर्माण करती है।
  2. मोरन नदी का तट:
    यह नदी अभयारण्य की उत्तरी सीमा निर्धारित करती है और अपने सुरम्य दृश्यों के लिए प्रसिद्ध है।

दर्शनीय स्थल

अभयारण्य में कई प्राकृतिक और धार्मिक स्थल हैं, जो पर्यटकों और श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र हैं:

1. देवी झरिया (रमकोला):

यह रमकोला ग्राम के दक्षिण में एक पहाड़ी पर स्थित है, जहां पिंगला देवी का पवित्र मंदिर और जल स्रोत है। यहां से पिंगला नदी का प्रवाह शुरू होता है।

2. कुंदरू घाघ:

पिंगला नदी पर स्थित यह जलप्रपात रमकोला से 10 किमी की दूरी पर स्थित है। चारों ओर घने जंगल से घिरा यह स्थान पिकनिक और वनभोज के लिए आदर्श है।

3. छिंदगढ़:

यहां 50 फीट ऊंचा वॉच टॉवर स्थित है, जिससे आप तमोर पहाड़ियों और आसपास के घने जंगल का विहंगम दृश्य देख सकते हैं।

4. बेंगची पत्थर:

यहां की चट्टानों की अनोखी आकृतियां सांप और मेढ़क की आकृति जैसी दिखती हैं, जो प्रकृति की अद्भुत कला को दर्शाती हैं।

5. रक्सगंडा जलप्रपात:

यह ओडगी विकासखंड में चांदनी बिहारपुर के पास स्थित है। जलप्रपात की ऊंचाई से गिरता पानी गहरे कुंड का निर्माण करता है, जहां से सूर्य की किरणों के प्रभाव से रंग-बिरंगा पानी चमकता है।

6. माँ बागेश्वरी देवी, कुदरगढ़:

कुदरगढ़ पर्वत पर स्थित यह देवी मंदिर और राजा बालंदशाह का किला धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व रखता है। नवरात्रि के समय यहां भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है।


वन्यजीव और जैव विविधता

तमोर पिंगला अभयारण्य में साल के घने जंगलों के बीच कई वन्यजीवों का आवास है। यहां गौर, हाथी, हिरण, और विभिन्न प्रकार के पक्षी पाए जाते हैं। अभयारण्य के विभिन्न भागों में वन विभाग ने वॉच टॉवर का निर्माण किया है, जहां से वन्यजीवों को सुरक्षित तरीके से देखा जा सकता है।


कैसे पहुँचें

  • निकटतम शहर: अंबिकापुर
  • सड़क मार्ग: अंबिकापुर से रमकोला पीडब्ल्यूडी मार्ग पर 15 किमी की दूरी पर।
  • रेल मार्ग: अंबिकापुर रेलवे स्टेशन
  • हवाई मार्ग: निकटतम हवाई अड्डा अंबिकापुर,रायपुर

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