छत्तीसगढ़ का बस्तर एक नजर

Bastar of Chhattisgarh at a glance

छत्तीसगढ़ का बस्तर एक नजर,छत्तीसगढ़ के दक्षिण में स्थित एक ऐसा जिला है, जो अपने घने जंगलों, अद्भुत जलप्रपातों और समृद्ध आदिवासी संस्कृति के लिए जाना जाता है। बस्तर का मुख्यालय जगदलपुर है, जिसे प्रदेश की सांस्कृतिक राजधानी कहा जाता है। ऐतिहासिक रूप से इसे दक्षिण कौशल के नाम से भी जाना जाता था।

Bastar of Chhattisgarh at a glance

6596.90 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल में फैले इस जिले का एक समय का आकार केरल जैसे राज्य या बेल्जियम और इज़राइल जैसे देशों से भी बड़ा था। 1999 में इसके प्रशासनिक प्रबंधन के लिए इसे विभाजित कर कांकेर और दंतेवाड़ा जिलों का गठन किया गया।


छत्तीसगढ़ का बस्तर एक नजर भौगोलिक और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

बस्तर उत्तर में कोंडागांव, दक्षिण में सुकमा, पूर्व में दंतेवाड़ा और पश्चिम में बीजापुर जिलों से घिरा हुआ है। राजधानी रायपुर से 305 किमी दूर यह जिला ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और प्राकृतिक दृष्टि से बेहद समृद्ध है।
यह क्षेत्र रामायण में वर्णित दंडकारण्य और महाभारत में कोसला साम्राज्य का हिस्सा रहा है।


छत्तीसगढ़ का बस्तर एक नजर जनजातीय विविधता

बस्तर की 70% आबादी जनजातीय समुदायों की है। प्रमुख जनजातियों में शामिल हैं:

  • गोंड
  • मारिया
  • मुरिया
  • भतरा
  • हल्बा
  • धुरुवा

बस्तर जिले को 7 विकासखंडों/तहसीलों में विभाजित किया गया है:
जगदलपुर, बस्तर, बकावंड, लोहंडीगुडा, तोकापाल, दरभा, और बास्तानार


प्रमुख नदियां

बस्तर की जीवनदायिनी इंद्रावती नदी, जो उड़ीसा से निकलकर दंतेवाड़ा की भद्रकाली नदी में समाहित होती है, लगभग 240 किलोमीटर लंबी है। यह नदी बस्तरवासियों के लिए आस्था का प्रतीक है।


छत्तीसगढ़ का बस्तर एक नजर प्रमुख पर्यटन स्थल

  1. चित्रकोट जलप्रपात:
    भारत का “नियाग्रा फॉल्स” कहा जाने वाला यह जलप्रपात अपनी खूबसूरती के लिए विश्व प्रसिद्ध है।
  2. तीरथगढ़ जलप्रपात:
    हरे-भरे जंगलों के बीच स्थित यह जलप्रपात पर्यटकों को आकर्षित करता है।
  3. दलपत सागर:
    जगदलपुर में स्थित यह झील बस्तर का प्रमुख आकर्षण है।
  4. कुटुमसर और कैलाश गुफाएं:
    यह गुफाएं अपनी भौगोलिक संरचना और प्राचीन इतिहास के लिए जानी जाती हैं।
  5. बस्तर महल:
    बस्तर के राजाओं का यह महल ऐतिहासिक धरोहरों का केंद्र है।
  6. बस्तर दशहरा:
    75 दिनों तक चलने वाला यह पर्व दुनिया के सबसे लंबे त्योहारों में से एक है।

इतिहास के झरोखे से

1324 ई. में काकतीय वंश के राजा अन्नाम देव ने बस्तर में अपना साम्राज्य स्थापित किया। बाद में, कई राजाओं ने इस क्षेत्र पर शासन किया, जिनमें महाराजा प्रवीर चंद्र भंज देव (1936-1948) अंतिम शासक थे। प्रवीर चंद्र भंज देव अपने न्यायप्रिय शासन और आदिवासी समुदायों के प्रति प्रेम के लिए प्रसिद्ध थे।
बस्तर की आराध्य देवी दंतेश्वरी के नाम पर दंतेवाड़ा मंदिर स्थापित किया गया, जो आज भी श्रद्धालुओं के बीच प्रसिद्ध है।

1948 में, भारत के एकीकरण के दौरान बस्तर रियासत का भारत में विलय कर दिया गया।


हस्तशिल्प और संस्कृति

बस्तर अपने दुर्लभ हस्तशिल्प, लोककला, और उदार संस्कृति के लिए विख्यात है।

  • मानव विज्ञान संग्रहालय: यहां आदिवासी जीवन से जुड़ी वस्तुएं प्रदर्शित की गई हैं।
  • डांसिंग कैक्टस कला केंद्र: बस्तर की कला और संस्कृति का एक अद्भुत उदाहरण।

छत्तीसगढ़ का बस्तर एक नजर प्राकृतिक सौंदर्य

बस्तर घने जंगलों, ऊंची पहाड़ियों, झरनों, और वन्यजीवों से भरा हुआ है। यहां का सुखद वातावरण और प्राकृतिक संपदा पर्यटकों के लिए एक स्वर्ग है।

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