छत्तीसगढ़ का जल संरक्षण मॉडल: “मोर गांव मोर पानी” महाअभियान बना जन आंदोलन

छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में मोर गांव मोर पानी अभियान के अंतर्गत जल संरक्षण के लिए इंजेक्शन वेल तकनीक अपनाई जा रही है। जानिए कैसे यह अभियान भूजल स्तर बढ़ाने में सफल हो रहा है।

छत्तीसगढ़ का जल संरक्षण मॉडल: “मोर गांव मोर पानी” महाअभियान बना जन आंदोलन 👉 बिलासपुर जिले में इंजेक्शन वेल तकनीक से भूजल स्तर बढ़ाने की अभिनव पहल

मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ सरकार राज्य में जल संरक्षण एवं संचयन को लेकर गंभीर और ठोस प्रयास कर रही है। इसी क्रम में बिलासपुर जिले ने “मोर गांव मोर पानी” महाअभियान के तहत जल संकट से निपटने के लिए तकनीकी नवाचार और जन सहभागिता को समर्पित किया है।

इस अभियान का शुभारंभ ग्राम आमागोहन से हुआ जहाँ मुख्यमंत्री के सुशासन तिहार में आगमन के पश्चात, कलेक्टर श्री संजय अग्रवाल के मार्गदर्शन में जिले भर में भूजल संरक्षण का व्यापक अभियान प्रारंभ किया गया।


🔹 इंजेक्शन वेल तकनीक: जल संकट से निपटने का नवाचार

इंजेक्शन वेल” तकनीक, जो जल संरक्षण की दिशा में एक आधुनिक और प्रभावी प्रणाली है, तेजी से अपनाई जा रही है।

💧 क्या है इंजेक्शन वेल तकनीक?

  • वर्षा जल को सीधे ज़मीन के भीतर भूजल स्तर तक पहुँचाया जाता है।
  • यह तकनीक पारंपरिक जल संचयन से अधिक प्रभावी है क्योंकि यह सीधे जलस्रोतों जैसे हैंडपंप, कुओं और तालाबों को पुनर्जीवित करती है।
  • ग्राम आमागोहन और सोनपुरी में सूखे तालाबों, परकोलेशन टैंकों और डबरियों में यह तकनीक अपनाई जा रही है।
  • सतही जल को तालाबों में एकत्र कर फिल्टर प्रणाली से शुद्ध कर उसे ज़मीन में प्रवाहित किया जाता है।

🔹 जनसहयोग से बदल रही तस्वीर

“मोर गांव मोर पानी” को जिला प्रशासन ने जन आंदोलन का स्वरूप दिया है।

📢 जनजागरूकता के प्रयास:

  • मनरेगा और एनआरएलएम दलों के माध्यम से ग्रामीणों को भूजल बचाने की जानकारी दी जा रही है।
  • लोगों को कम जल उपयोग वाली फसलों को अपनाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है।

🧱 बंधान कार्य की सफलता:

  • पिछले एक माह में 54 बंधान कार्य नालों में पूरे किए गए हैं।
  • इससे तेज़ बहाव को रोका जा सका और आसपास के क्षेत्रों का भूजल स्तर बढ़ाया जा रहा है।

🔹 निष्क्रिय बोरवेल का पुनः उपयोग

बिलासपुर जिले में 159 स्थानों पर निष्क्रिय बोरवेल को पुनः चालू करने के लिए सैंड फिल्टर तकनीक का उपयोग किया जा रहा है। यह तकनीक भूजल पुनर्भरण के लिए एक प्रभावी साधन बन रही है।


🔹 सामुदायिक प्रशिक्षण और सहभागिता

महाअभियान के तहत जून के पहले सप्ताह में जिले के अलग-अलग क्लस्टरों में एक दिवसीय प्रशिक्षण शिविर का आयोजन किया गया, जिसमें लगभग 6000 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। इन प्रतिभागियों में शामिल थे:

  • गांव के सरपंच
  • सचिव
  • रोजगार सहायक
  • स्व-सहायता समूह की दीदियाँ

यह प्रशिक्षण ग्रामीणों में जल संरक्षण को लेकर व्यावहारिक जागरूकता बढ़ा रहा है।


🔚 निष्कर्ष: सुरक्षित जल, सुरक्षित भविष्य

बिलासपुर जिला प्रशासन की यह अभिनव पहल मोर गांव मोर पानी वास्तव में राज्य के अन्य जिलों के लिए अनुकरणीय मॉडल बनकर उभर रही है।

इंजेक्शन वेल तकनीक, जनजागरूकता, बंधान कार्य, और निष्क्रिय बोरवेलों का पुनः उपयोग — ये सभी कदम मिलकर यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि राज्य जल संकट से नहीं जूझे, बल्कि जल समृद्ध और सुरक्षित भविष्य की ओर अग्रसर हो।

यह अभियान केवल एक प्रशासनिक योजना नहीं है, बल्कि सामूहिक संकल्प और सतत विकास की ओर एक मजबूत कदम है।