छत्तीसगढ़ में शिक्षा सुधार की नई पहल: स्कूलों और शिक्षकों के युक्तियुक्तकरण की दिशा में ऐतिहासिक कदम

छत्तीसगढ़ में शिक्षा सुधार की नई पहल: स्कूलों और शिक्षकों के युक्तियुक्तकरण की दिशा में ऐतिहासिक कदम छत्तीसगढ़ सरकार ने शिक्षा सुधार की दिशा में ऐतिहासिक पहल करते हुए स्कूलों और शिक्षकों का युक्तियुक्तकरण किया है। जानिए इसके लाभ, आँकड़े और भविष्य की दिशा।

छत्तीसगढ़ में शिक्षा सुधार : छत्तीसगढ़ सरकार ने शिक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ और समावेशी बनाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के मार्गदर्शन में राज्य में स्कूलों और शिक्षकों के युक्तियुक्तकरण (Rationalization) की एक बड़ी और निर्णायक प्रक्रिया को लागू किया गया है। यह पहल राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 और शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 की भावना के अनुरूप है, जिसका उद्देश्य है सभी बच्चों को गुणवत्तापूर्ण और समान शिक्षा उपलब्ध कराना।

👉 राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप शिक्षा में गुणवत्ता और समानता लाने का प्रयास

छत्तीसगढ़ में शिक्षा सुधार की नई पहल: स्कूलों और शिक्षकों के युक्तियुक्तकरण की दिशा में ऐतिहासिक कदम

🔹 युक्तियुक्तकरण से पहले की चुनौतियाँ

इस सुधार से पहले राज्य में कई समस्याएँ व्याप्त थीं:

  • 212 प्राथमिक और 48 पूर्व माध्यमिक शालाएं पूरी तरह से शिक्षकविहीन थीं।
  • 6,872 प्राथमिक और 255 पूर्व माध्यमिक शालाएं केवल एक शिक्षक के सहारे चल रही थीं।
  • 211 शालाएं ऐसी थीं जहाँ छात्र नहीं थे लेकिन शिक्षक नियुक्त थे।
  • ग्रामीण क्षेत्रों की 133 और शहरी क्षेत्रों की 33 शालाएं विद्यार्थियों की कम संख्या और निकटता के कारण समायोजित की गईं।

🔹 छात्र-शिक्षक अनुपात में छत्तीसगढ़ की उत्कृष्ट स्थिति

  • प्राथमिक विद्यालयों का PTR (Pupil Teacher Ratio)20, जबकि राष्ट्रीय औसत 29 है।
  • पूर्व माध्यमिक विद्यालयों का PTR18, जबकि राष्ट्रीय औसत 38 है।

हालांकि PTR अच्छा था, लेकिन शिक्षकों का वितरण असमान था। शहरी क्षेत्रों में कुछ विद्यालयों में 10 से भी कम PTR दर्ज था, जहाँ शिक्षकों की संख्या आवश्यकता से कहीं अधिक थी।


🔹 एकीकृत विद्यालय परिसर – नवाचार की दिशा में एक बड़ा कदम

राज्य सरकार ने एक विशाल समेकन योजना के तहत 10,372 विद्यालयों को एकीकृत किया है। इसमें प्राथमिक से लेकर उच्चतर माध्यमिक स्तर के स्कूलों को एक ही परिसर में संचालित किया जा रहा है। इसके लाभ:

  • शाला त्याग की प्रवृत्ति में कमी।
  • बार-बार स्थानांतरण प्रमाणपत्र की आवश्यकता समाप्त।
  • विद्यार्थियों को साझा संसाधनों (कंप्यूटर लैब, खेल सामग्री, विज्ञान प्रयोगशाला आदि) का लाभ।
  • सीनियर छात्रों से जूनियर छात्रों को मार्गदर्शन और प्रेरणा।
  • व्यक्तित्व विकास और सह-पाठ्यक्रम गतिविधियों में वृद्धि

🔹 शिक्षकों का युक्तियुक्तकरण: प्रभावी और संतुलित प्रक्रिया

इस प्रक्रिया के अंतर्गत कुल 14,761 शिक्षकों का स्थानांतरण/युक्तियुक्तकरण किया गया:

  • जिला स्तर – 13,793 शिक्षक
  • संभाग स्तर – 863 शिक्षक
  • राज्य स्तर – 105 शिक्षक

📌 यह सुनिश्चित किया गया कि किसी भी शिक्षक का पद समाप्त न हो और कोई विद्यालय बंद न किया जाए।


🔹 प्रारंभिक परिणाम: सकारात्मक और उत्साहवर्धक

  • शिक्षक विहीन विद्यालयों की संख्या अब शून्य हो गई है।
  • एकल शिक्षकीय विद्यालयों में 80% की कमी
  • 89% विद्यार्थियों को अब स्थानांतरण या पुनः प्रवेश की आवश्यकता नहीं होगी।
  • विद्यालयों में शिक्षकों की उपलब्धता और पाठ्यक्रम संचालन में एकरूपता बढ़ी है।

🔹 भविष्य की राह और निष्कर्ष

छत्तीसगढ़ सरकार की यह दूरदर्शी पहल केवल एक प्रशासनिक सुधार नहीं है, बल्कि यह शैक्षणिक न्याय, गुणवत्ता और समावेशन की दिशा में एक ठोस कदम है। यह न केवल वर्तमान चुनौतियों का समाधान है, बल्कि आने वाले वर्षों में शिक्षा के स्तर को राष्ट्रीय और वैश्विक मानकों तक पहुँचाने की नींव भी है।

युक्तियुक्तकरण अभियान से यह स्पष्ट है कि छत्तीसगढ़ राज्य एक समावेशी, कुशल और भविष्योन्मुखी शिक्षा व्यवस्था के निर्माण की दिशा में अग्रसर है – जहाँ प्रत्येक बच्चे को विकास और सफलता का समान अवसर मिलेगा।