शिवनाथ नदी (shivnath nadi)

शिवनाथ नदी भारत के छत्तीसगढ़ राज्य में बहने वाली एक नदी है। यह महानदी की एक प्रमुख उपनदी है।

शिवनाथ नदी की महत्त्वपूर्ण जानकारी

मार्ग

यह महाराष्ट्र के गढ़चिरौली जिला के गोडरी गांव से निकलकर छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव के अम्बागढ़ में प्रवेश करते हुए शिवरीनारायण (जिला जांजगीर चांपा) के पास महानदी में मिल जाती है। इसकी प्रमुख सहायक नदियाँ लीलागर, मनियारी, आगर, हांप, खारून, अरपा, आमनेर, सकरी, खरखरा, तांदुला तथा जमुनिया नदी आदि हैं। इसकी कुल लम्बाई 290 किमी है। प्रसिद्ध मोंगरा बैराज परियोजना राजनांदगांव में शिवनाथ नदी पर संचालित है।

अन्य जानकारी

शिवनाथ नदी के कुछ भागों में सिर्फ वर्षा के समय ही नावें चलती हैं। और कहीं-कहीं कुछ भागों में जुलाई से फरवरी तक नावें चलती हैं। हाल के वर्षों में नदी में प्रदूषण बहुत बढ़ गया है।

शिवनाथ नदी का धार्मिक महत्व

छत्तीसगढ़ की सभ्यता एवं संस्कृति के विकास में बस्तर क्षेत्र की नदियाँ भी अपना अमूल्य योगदान दे रही हैंछत्तीसगढ़ की शिवनाथ नदी का भी अपना एक अलग महत्वपूर्ण इतिहास है। इस नदी का जल कभी नहीं सूखता इस लिए इसे सदानीरा भी कहते है। यह शिवनाथ नदी दक्षिणी छत्तीसगढ़ के पूरे जल का संग्रहण कर उत्तर को सौंप देती है। शिवनाथ नदी, महानदी की एक पूरक नदी है।

इसका उद्गम स्थल तो बस खेत की एक साधारण सी मेड़ है। ज्ञात नहीं कि इस मेड़ में ऐसी कौन सी वरुणी शक्ति निहित हैं जो शिवनाथ नदी को सदनीरा बनाये रखती है। शिवनाथ नदी राजनाँदगाँव, दुर्ग, रायपुर, बिलासपुर जिलों का सीमांकन करती है।

शिवनाथ नदी का बहाव सीधा है और यह नदी टेढ़ी-मेढ़ी नहीं बल्कि सीधा मार्ग अपनाते हुए चलती है। शिवनाथ नदी में महानदी की तरह न तो सोना मिलता है और न अन्य खनिज पदार्थ ही उपलब्ध होते हैं। यदि शिवनाथ के पास कोई खजाना है, तो बस केवल रेत का ही है। रेत भी ऐसी कि यदि कोई मनुष्य इसमें खड़ा हो तो वह बस रेत में धँसता ही चला जाता है।

इसकी जलधारा की गति तीव्र है और नदी के किनारे प्रायः टूटते और धँसकते रहते हैं। इसके तट पर न तो राजिम जैसा कोई तीर्थ बन पाया है और न श्रृंगी ऋषि के आश्रम जैसा कोई आश्रम बन पाया है। 

सहायक नदियाँ

  • बालोद में – खरखरा, तांदुला
  • कवर्धा में – हॉफ, आमनेर
  • बलौदाबाजार में – जमुनिया
  • रायपुर में – खारुन
  • मुंगेली में – मनियारी
  • बिलासपुर में – अरप्पा, लीलागर

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