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छत्तीसगढ़ राज्य गठन
छत्तीसगढ़ राज्य की प्रथम कल्पना पं सुन्दरलाल शर्मा ने की थी . पृथक राज्य के लिए १९५६ राजनांदगांव में ‘छत्तीसगढ़ महासभा का आयोजन किया गया .
तिथि अनुसार पृथक राज्य गठन के इतिहास निम्नानुसार है –
१८६१ – सेंट्रल प्राविन्स का गठन .
१८६२ – सेंट्रल प्राविन्स में छत्तीसगढ़ को संभाग का दर्जा दिया गया ,जिसमे से तीन जिले रायपुर ,बिलासपुर एवं संबलपुर थे .
१९०५ – बंगाल प्रान्त एवं सेंट्रल प्राविन्स का पुनर्गठन और छत्तीसगढ़ नक्शा का निर्माण .
१९१८ – पं सुन्दरलाल शर्मा ने छत्तीसगढ़ राज्य का स्पष्ट रेखाचित्र बनाया .
१९२४ – रायपुर जिला परिषद द्वारा संकल्प पारित कर पृथक छत्तीसगढ़ राज्य की मांग .
१९३९ – कांग्रेस के जबलपुर अधिवेशन में मांग .
१९५३ – फजल अली की अध्यक्षता में भाषायी आधार पर राज्य पुनर्गठन आयोग के समक्ष पृथक राज्य की मांग .
१९५५ – रायपुर विधायक ठा . रामकृष्ण सिंह द्वारा मध्य प्रान्त विधान सभा में मांग .
१९५६ – डा. खूबचंद बघेल की अध्यक्षता में छत्तीसगढ़ महासभा का गठन राजनांदगांव जिला में किया गया .
१९५६ – छत्तीसगढ़ मध्यप्रदेश का हिस्सा बन गया .
१९६७ – डा . खूबचंद बघेल द्वारा छत्तीसगढ़ भातृत्व संघ की स्थापना एवं राष्टपति से पृथक राज्य की मांग .
१९९४ – विधायक गोपाल परमार का मध्यप्रदेश विधानसभा में अशासकीय संकल्प पारित .
१९९८ – १ मई को मध्यप्रेश विधानसभा ने शासकीय संकल्प पारित किया .
२००० -२५ जुलाई को गृहमंत्री लालकृष्ण आडवानी ने पृथक छत्तीसगढ़ राज्य के लिए लोकसभा में मध्यप्रदेश पुनर्गठन विधेयक २००० प्रस्तुत किये .
३१ जुलाई को लोकसभा में विधेयक पारित
९ अगस्त को को राज्य सभा में विधेयक पारित
२५ अगस्त को भारत के राष्टपति श्री के.आर. नारायणन् के हस्तक्षर के पश्चात मध्य प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम २००० बना .
मध्यप्रदेश पुनर्गठन अधिनियम २०००
१ नवम्बर २००० को मध्यप्रदेश से पृथक होकर भारत का २६ वां राज्य बना .
छत्तीसगढ़ का निर्माण मध्यप्रदेश के तीन संभाग रायपुर, बिलासपुर एवं बस्तर के १६ जिलें के साथ ९६ तहसील और १४६ विकासखंड से किया गया है प्रदेश की राजधानी रायपुर को तथा बिलासपुर को उच्च न्यायालय की स्थापना किया गया है .