नक्सल समस्या को नियंत्रित करने के लिए मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ सरकार ने एक ठोस रणनीति अपनाई है, जिसने राज्य को इस गंभीर मुद्दे से उबरने में काफी मदद की है। नक्सलवाद से ग्रस्त क्षेत्रों में शांति और विकास लाने की यह पहल राज्य को नक्सल समस्या से मुक्त करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। सरकार की नक्सल विरोधी रणनीति के कुछ प्रमुख बिंदु निम्नलिखित हैं:
1. सुरक्षा बलों का सुदृढ़ीकरण और कैंप स्थापना
साय सरकार ने बस्तर क्षेत्र में सुरक्षा बलों की संख्या और संसाधन बढ़ाए हैं। राज्य में 34 नए सुरक्षा कैंप स्थापित किए गए हैं, जिनसे स्थानीय निवासियों में सुरक्षा का माहौल बना है। आगे 30 और नए कैंप स्थापित करने की योजना है, जिससे नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सुरक्षा और मजबूत होगी। ये कैंप न केवल सुरक्षा बढ़ाने का कार्य करते हैं, बल्कि विकास की योजनाओं को जमीनी स्तर पर लागू करने में भी मददगार साबित हो रहे हैं।
2. एसआईए का गठन
राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) की तर्ज पर राज्य स्तर पर विशेष अनुसंधान एजेंसी (एसआईए) का गठन किया गया है। एसआईए नक्सल गतिविधियों की गहराई से जाँच और विश्लेषण करती है, जिससे सरकार को नक्सलियों के खिलाफ सटीक और प्रभावी कदम उठाने में सहायता मिलती है।
3. “आपका अच्छा गांव” योजना
माओवाद प्रभावित क्षेत्रों में स्थापित कैंपों के आसपास के 5 किलोमीटर के दायरे में “आपका अच्छा गांव” योजना चलाई जा रही है। इसके अंतर्गत 17 विभागों की 53 कल्याणकारी योजनाओं और 28 सामुदायिक सुविधाओं की उपलब्धता सुनिश्चित की गई है। इस योजना के तहत शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क, पेयजल, और रोजगार के अवसरों का विकास किया जा रहा है, जिससे ग्रामीणों को मूलभूत सुविधाएं प्राप्त हो रही हैं और नक्सलियों के प्रति समर्थन में कमी आई है।
4. अधोसंरचना का विस्तार
सरकार ने नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सड़कों का जाल बिछाने और पुलों के निर्माण की योजनाएं बनाई हैं। अब तक 100 किलोमीटर सड़क, दो बड़े पुल, और 52 छोटे पुलों का निर्माण हो चुका है, जिससे दूरस्थ क्षेत्रों में आवागमन सुगम हुआ है। इससे सुरक्षा बलों की तैनाती में तेजी आई है और स्थानीय निवासियों के जीवन स्तर में सुधार हुआ है।
5. बंद स्कूलों का पुनः संचालन
नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सरकारी स्कूलों को दोबारा खोला गया है और इनमें कौशल विकास प्रशिक्षण को एकीकृत किया गया है। इस पहल के तहत 29 बंद स्कूलों को फिर से चालू किया गया है, जिससे बच्चों को शिक्षा का अवसर मिला है। इससे स्थानीय समुदाय में सरकार के प्रति विश्वास बढ़ा है और युवा पीढ़ी को सकारात्मक दिशा मिली है।
6. कौशल विकास और ब्याज रहित ऋण
सरकार ने नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के विद्यार्थियों को तकनीकी और व्यावसायिक शिक्षा के लिए ब्याज रहित ऋण देने की योजना बनाई है। अन्य क्षेत्रों के छात्रों के लिए भी 1% ब्याज दर पर ऋण की सुविधा उपलब्ध कराई गई है। इस कदम से इन क्षेत्रों के युवाओं को रोजगार के अवसर मिल रहे हैं, जिससे नक्सल विचारधारा का प्रभाव कम हुआ है।
7. पारदर्शिता और संवाद के माध्यम से विश्वास बहाली
साय सरकार ने जनदर्शन कार्यक्रम की शुरुआत की है, जिसमें मुख्यमंत्री खुद लोगों की समस्याओं को सुनते हैं और उनके समाधान के लिए त्वरित कदम उठाते हैं। इस पहल से नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के लोगों को सरकार में विश्वास मिला है। भूमि पंजीयन प्रक्रिया में पारदर्शिता बढ़ाने के लिए ऑनलाइन पेमेंट सुविधा भी शुरू की गई है, जिससे जनता में सरकार की छवि में सुधार हुआ है।
8. आईटी के माध्यम से पारदर्शिता
खनिज परिवहन में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए ऑनलाइन ट्रांजिट पास प्रणाली पुनः लागू की गई है। इस तरह की तकनीकी सुविधाओं का उपयोग भ्रष्टाचार को नियंत्रित करने और नक्सल क्षेत्रों में सरकारी योजनाओं की निगरानी के लिए किया जा रहा है।
निष्कर्ष
साय सरकार की यह रणनीति नक्सल समस्या के समाधान के लिए एक व्यापक और संतुलित दृष्टिकोण पर आधारित है, जिसमें सुरक्षा, विकास, और स्थानीय विश्वास को प्राथमिकता दी गई है। नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में बुनियादी सुविधाओं का विकास, रोजगार सृजन, और शांति का वातावरण बनाने के साथ-साथ प्रभावी सुरक्षा बलों की तैनाती ने छत्तीसगढ़ में नक्सल समस्या पर नियंत्रण में सफलता दिलाई है।