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कोरिया जिला और यहाँ के पर्यटन स्थल

कोरिया जिला छत्तीसगढ़ राज्य के उत्तर-पश्चिम ज़िलो में से एक है। जिला मध्य प्रदेश राज्य में 25 मई 1998 को अस्तित्व में आया। इसका मूल जिला सरगुजा था। 1 नवम्बर 2000 को छत्तीसगढ़ के नए राज्य के गठन के बाद, यह जिला छत्तीसगढ़ राज्य के अंतर्गत आने लगा है। जिला कोरिया का नाम यहाँ के पूर्व रियासत कोरिया से लिया गया है।

कोरिया जिला और यहाँ के पर्यटन स्थल
कोरिया जिला और यहाँ के पर्यटन स्थल

कोरिया जिला और यहाँ के पर्यटन स्थल

गौरघाट जलप्रपात

हसदेव नदी पर स्थित यह झरना जो कोरिया के जिला मुख्यालय से 33 किलोमीटर दूर है।

इस जिले में बहुत से जल प्रपात है लेकिन इनमे सब से ज्यादा गौरघाट जलप्रपात अधिक प्रसिद्ध है. आधिकतर लोग इसकी खूबसूरती से वंचित है इसके बेहद ही सुन्दर दिखने का कारन है यह के जंगल जो इसकी खूबसूरती को और भी निखारते है

अकुरी नाला जलप्रपात

कोरिया जिले में अकुरी नाला एक प्राकृतिक झरना है जो बैकुन्ठपुर से 65 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है जो झरना कोरिया में बंसीपुर गांव के पास स्थित है। यह झरना दोनों पक्षों से चट्टानों के द्वारा घिरा हुआ है तथा लोग इस झरने के नीचे भाग मे स्नान का मज़ा ले सकते है। कोरिया भारत के छत्तीसगढ़ मे पूर्वोत्तर भाग में स्थित है।

गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान

गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान
गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान

गुरु घासीदास नेशनल पार्क पूर्व ‘संजय नेशनल पार्क’ का ही एक हिस्‍सा है। यह एक अलग उद्यान तब बनाया गया, जब मध्य प्रदेश का एक हिस्‍सा काटकर छत्तीसगढ़ राज्य बना। इस राष्ट्रीय उद्यान का 60 प्रतिशत हिस्‍सा छत्तीसगढ़ राज्‍य के कोरिया ज़िले में स्थित है। इसका नाम इस क्षेत्र के एक सुधारवादी नायक ‘गुरु घासीदास’ के नाम पर रखा गया है। यह उद्यान अपनी जैव-विविधता के लिए बहुत प्रख्यात है।

इस राष्ट्रीय उद्यान के अंदर 35 राजस्व ग्राम हैं, जिनमें मुख्यतः चेरवा, पांडो, गोड़, खैरवार, अगरिया, जनजातियॉं निवास करती हैं। इन जनजातियों की मुख्य भाषा हिन्दी है

कोरिया पैलेस

कोरिया पैलेस का निर्माण 1923 ईस्वी में आरंभ हुआ एवं 1931 में बनकर तैयार हुआ। पहले इस राजमहल का नाम रामानुज विलास था । जिस जगह यह राजमहल था उसे राजापारा के नाम से जाना जाता है , वर्तमान में महलपारा में अवस्थित हैं। इस महल के डिजाइन का कार्य 1923 में आरंभ किया गया । उस समय 7 हज़ार रुपए में नक्शा बनाया गया। महल की नींव को 12 फुट का गहरा बनवाया गया था। पश्चात् विभिन्न प्रांतों से आए कारीगरों द्वारा राजमहल का ग्राउंड फ्लोर तैयार किया गया। महल का उपरी हिस्सा 1938 में एवं संपूर्ण कार्य 1946 ईस्वी को अंत हुआ। महल का निर्माण पूर्ण रूप से चूनापत्थर से हुआ है।

कोरिया पैलेस का निर्माण 1923 ईस्वी में आरंभ हुआ एवं 1931 में बनकर तैयार हुआ। पहले इस राजमहल का नाम रामानुज विलास था । जिस जगह यह राजमहल था उसे राजापारा के नाम से जाना जाता है , वर्तमान में महलपारा में अवस्थित हैं। इस महल के डिजाइन का कार्य 1923 में आरंभ किया गया । उस समय 7 हज़ार रुपए में नक्शा बनाया गया। महल की नींव को 12 फुट का गहरा बनवाया गया था। पश्चात् विभिन्न प्रांतों से आए कारीगरों द्वारा राजमहल का ग्राउंड फ्लोर तैयार किया गया। महल का उपरी हिस्सा 1938 में एवं संपूर्ण कार्य 1946 ईस्वी को अंत हुआ। महल का निर्माण पूर्ण रूप से चूनापत्थर से हुआ है।

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