बसना: मामा भांजा जंगल में पर्यटन की असीम संभावनाएं

मामा भाँचा जंगल में पर्यटन की असीम संभावनाएं

अनुराग नायक बसना = महासमुंद जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में कई ऐसे स्थान है जो थोड़े से प्रयास कर कुछ सुविधा बढ़ाई जाए तो पर्यटन की असीम संभावना है। यह प्रयास करने होंगे शासन प्रशासन के साथ स्थानीय जन प्रतिनिधियों को एक ऐसी ही जगह है महासमुंद जिले के बसना विकासखंड अंतर्गत ग्राम पंचायत लोहड़ीपुर में स्थित क्षेत्र के प्रसिद्ध और ऐतिहासिक मामा भाचा जंगल पहाड़ जिस जगह से वह पहाड़ी जंगल स्थित है उस जगह को प्राचीन काल के ऋषियों की तपो भूमि कहते हैं। जहां आज भी ऋषि के कुछ अवशेष है जैसे ऋषि सरोवर, ऋषि गुफा, मुनि धोनी ,बड़ा शीला चूल्हा, बाराश पीपल, भीम बांध,इत्यादि।
बड़े बुजुर्ग बताते हैं यहां के डोगरी के अंदर झरना झील जैसा छोटा तालाब है यह हरा भरा मैदान है जो समय ठंड और ताजी से भरा रहता है यहां शिव का प्राचीन मंदिर है और लंबी-लंबी तथा सुरंग है जहां पत्थरों को हाथ से रगड़ने पर आज भी भभूत मिलते हैं ।यह नहीं इस डोंगरी पर आयुर्वेदिक औषधियां का भी भंडार है यहां आज भी वैधो को कई दुर्लभ प्रजाति की ओषधीय तथा जड़ी बूटी के पौधे आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं। डोंगरी के बाहर विशाल जलाशय से है जो 12 महीने पानी से भरा रहता है जो कि नहाने वाले को ताजगी से भर देता है इस जगह को ऐतिहासिक स्थल घोषित कर इसका संरक्षण करने तथा यहां सुविधा विकसित करने की मांग आसपास की जनता के द्वारा सरकार से कई वर्षों से की जा रही है तथा हर वर्ष मेला के वक्त आसपास की जनप्रतिनिधियों को यहां मुख्य अतिथि के रूप में बुलाकर उनसे भी विनती की जाती है पर उसे आश्वशन के अलावा कुछ भी नहीं मिला ।यदि यहां जाने हेतु मार्ग तथा ऊपर चढ़ने हेतु सीडियो का निर्माण करवा दिया जाए तो यह पर्यटन की असीम संभावनाएं हैं जो क्षेत्र के विकास में काफी मददगार हो सकती है और क्षेत्र के विकास के साथ लोगों को रोजगार के भी अवसर मिलेंगे।

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