माटी होही तोर चोला रे संगी Chhattisgarhi Song

Chhattisgarhi Song

माटी होही तोर चोला रे संगी Chhattisgarhi Song माटी होही तोर चोला रे संगी माटी होही तोर चोलामाटी होही तोर चोला रे संगी माटी होही तोर चोला 2माटी ले उपजे माटी मा बाड़े माटी ले उपजे ..माटी ले उपजे माटी…

लोकगीत व लोक नृत्य/ शिवकुमार श्रीवास “लहरी”

यह कविता छत्तीसगढ़ के लोकगीत और लोकनृत्य की महिमा को बखान करती है। लोकगीत और लोकनृत्य एक विशेष प्रकार का सांस्कृतिक अभिव्यक्ति का माध्यम हैं, जो समाज की परंपराओं, मान्यताओं और सांस्कृतिक धरोहरों को जीवंत बनाए रखते हैं। इसमें विभिन्न…