छत्तीसगढ़ में राष्ट्रीय आंदोलन का इतिहास
Chhattisgarh in Indian Freedom Movement (1857–1947)
छत्तीसगढ़ भारत के स्वतंत्रता संग्राम का एक महत्वपूर्ण लेकिन कम चर्चित केंद्र रहा है। यहाँ के स्वतंत्रता सेनानियों ने कांग्रेस के नेतृत्व में, गांधीवादी और क्रांतिकारी दोनों रूपों में राष्ट्रीय आंदोलनों में सक्रिय भागीदारी निभाई।
🏛️ कांग्रेस से जुड़ाव और आरंभिक आंदोलन
🔹 1891 – कांग्रेस से जुड़ाव
- नागपुर अधिवेशन के समय छत्तीसगढ़ का भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से औपचारिक संपर्क हुआ।
- इससे पहले भी अंग्रेजों की नीतियों के प्रति असंतोष उभरने लगा था।
🔹 1905 – नागपुर प्रांतीय राजनीतिक परिषद
- रायपुर में कांग्रेस शाखा की स्थापना हुई।
- 1906 में दादा साहेब खापड़े द्वारा स्वदेशी आंदोलन का प्रस्ताव पारित हुआ।
🕊️ होमरूल आंदोलन (1918)
- रायपुर में सम्मेलन, तिलक और पंडित रविशंकर शुक्ल की सक्रियता।
- प्रमुख नेता: कुंज बिहारी अग्निहोत्री, गजाधर साव, गोविंद तिवारी, बैरिस्टर छेदीलाल सिंह।
⚖️ रोलेट एक्ट का विरोध (1919)
- राजनांदगांव में प्यारेलाल सिंह, बिलासपुर में ठाकुर छेदीलाल, ई. राघवेंद्र, शिव दुलारे द्वारा विरोध प्रदर्शन।
- काले कपड़े पहनकर रैलियाँ निकाली गईं।
🙏 असहयोग आंदोलन (1920–22)
- छत्तीसगढ़ में यह आंदोलन कंडेल नहर सत्याग्रह के रूप में उभरा।
- ठाकुर प्यारेलाल सिंह, पं. सुंदरलाल शर्मा, पं. रविशंकर शुक्ल जैसे नेताओं की भूमिका उल्लेखनीय।
- आंदोलन के तहत:
- वकालत का त्याग
- विदेशी वस्त्रों का बहिष्कार
- राष्ट्रीय विद्यालयों की स्थापना
- सिहावा नगरी सत्याग्रह और मजदूर आंदोलन
🛠️ मजदूर आंदोलन (1920, 1924)
- राजनांदगांव की बीएनसी मिल में 36 दिन लंबी ऐतिहासिक हड़ताल।
- प्रमुख नेता: ठाकुर प्यारेलाल सिंह
- मजदूरों के शोषण के खिलाफ पहली बार संगठित संघर्ष।
🚿 कंडेल नहर सत्याग्रह (1920)
- धमतरी के कंडेल गाँव में किसानों पर ज़बरन सिंचाई टैक्स थोपा गया।
- गाँववालों ने अनुबंध से इनकार किया और 4033 रुपये का जुर्माना लगाया गया।
- पं. सुंदरलाल शर्मा के निमंत्रण पर गांधीजी 20 दिसंबर 1920 को छत्तीसगढ़ पहुँचे।
- टैक्स की वापसी के साथ आंदोलन सफल रहा।
🕌 खिलाफत आंदोलन (1920)
- 17 मार्च 1920 को रायपुर में आमसभा आयोजित।
- मुसलमानों के धार्मिक नेता ‘खलीफा’ के समर्थन में आंदोलन।
- पं. रविशंकर शुक्ल का ऐतिहासिक वक्तव्य: “अब हम हिन्दू या मुसलमान नहीं, सिर्फ हिंदुस्तानी हैं।”
🧂 सविनय अवज्ञा आंदोलन (1930)
- नमक सत्याग्रह:
- रायपुर में पं. रविशंकर शुक्ल ने नमक बनाकर कानून तोड़ा।
- जंगल सत्याग्रह:
- तमोरा – यतियतन
- धमतरी – नारायण मेघवाल, नाथू जगताप
- गट्टासिल्ली व रुद्री – सामूहिक आंदोलन
- बलिराम द्वारा वानर सेना का गठन
- वासुदेव देवरस ने बिलासपुर में आंदोलन का नेतृत्व किया।
🧨 अन्य स्थानीय आंदोलन
- नगरी सत्याग्रह, दुर्ग, राजनांदगांव, रायगढ़, अंबिकापुर, बिलासपुर में कांग्रेस की शाखाएँ।
- छात्रों, महिलाओं और किसानों की भूमिका सराहनीय रही।
🎖️ प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी
नाम | योगदान |
---|---|
पं. सुंदरलाल शर्मा | गांधीजी को छत्तीसगढ़ बुलाने वाले प्रमुख नेता |
ठाकुर प्यारेलाल सिंह | असहयोग, मजदूर आंदोलन और शिक्षा क्षेत्र में योगदान |
पं. रविशंकर शुक्ल | कांग्रेस के स्तंभ, नमक सत्याग्रह और विधायिका में योगदान |
ई. राघवेंद्र राव | स्वतंत्रता सेनानी, पत्रकार |
कुंज बिहारी अग्निहोत्री | होमरूल आंदोलन में सक्रिय भूमिका |
गजाधर साव | कांग्रेस व स्वदेशी आंदोलन से जुड़े |
बालिराम | वानर सेना के संस्थापक |
📌 निष्कर्ष
छत्तीसगढ़ का स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ा इतिहास कांग्रेस की विचारधारा, गांधीवादी आंदोलनों और लोकजन के आत्मबल का प्रतीक है। इस क्षेत्र ने भी भारत के आज़ादी आंदोलन में अपने वीर सपूतों और सशक्त जनांदोलनों के माध्यम से महत्वपूर्ण योगदान दिया।