छत्तीसगढ़ की प्रमुख जनजातियाँ: एक सांस्कृतिक दर्पण
छत्तीसगढ़ जनजातीय विविधता और सांस्कृतिक विरासत का अद्भुत संगम है। यहाँ की जनजातियाँ न केवल राज्य की परंपराओं को जीवंत बनाए हुए हैं, बल्कि भारत की समृद्ध आदिवासी परंपरा को भी संजोए हुए हैं। इस लेख में हम छत्तीसगढ़ की प्रमुख जनजातियों जैसे गोंड, बैगा, कोरवा, कमार, मुरिया, अबूझमाड़िया, हल्बा, कंवर, भतरा, भुंजिया, सौरा, उरांव, पारधी, बिरहोर, भैना, खैरवार, कोरकू आदि के बारे में विस्तार से जानेंगे।
🌿 गोंड जनजाति
- प्रमुख देवता: दूल्हा देव, बूढ़ा देव, सूरज देव
- बोली: गोंडी
- पेय: पेज (मोटे अनाज से बना पेय)
- प्रथा: डिप्पा खेती, दूध लौटावा विवाह
- सांस्कृतिक धरोहर: सैला, करमा, बिरहा, गेडी नृत्य
- विशेषता: “कोयतोर” – पर्वतवासी
🌿 बैगा जनजाति
- प्रमुख देवता: बूढ़ा देव (साल वृक्ष में निवास)
- अर्थ: “बैगा” – ओझा या शमन
- बोली: बैगानी
- नृत्य: करमा, परघौनी, विलमा
- कृषि: झूम खेती, शिकार
- मान्यता: शेर को अनुज मानते हैं
🌿 कोरवा जनजाति
- निवास: जशपुर, सरगुजा, सूरजपुर
- प्रमुख त्योहार: करमा
- उपजातियाँ: दिहारिया (कृषक), पहाड़ी कोरवा (बेनबरिया)
- परंपरा: मचान में निवास, दरहा (शारीरिक दाग), नवाधावी (मृत संस्कार)
🌿 कमार जनजाति
- निवास: गरियाबंद, धमतरी
- पेशा: बांस-लकड़ी से सामग्री निर्माण
- पंचायत: कुरहा
- विशेष: मृत्यु के बाद घर त्याग, गोदना प्रचलन
🌿 उरांव जनजाति
- बोली: कुरुख
- प्रमुख देवता: धर्मेश, सरना देवी
- त्यौहार: सरहुल, करमा
- संस्था: धुमकुरिया (युवा गृह)
🌿 मुरिया / मुडिया जनजाति
- उपजातियाँ: राजा मुरिया, झोरिया मुरिया, घोटुल मुरिया
- नृत्य: ककसार, मांदरी, गेंड़ी
- युवागृह: घोटुल
🌿 अबूझमाड़िया जनजाति
- गोंड की उपजाति
- निवास: नारायणपुर, बीजापुर
- कृषि पद्धति: पेद्दा
- उपनाम: मेताभुम
🌿 माड़िया जनजाति
- नृत्य: बाइसनहार्न (गौर नृत्य)
- झोपड़ी: सिहारी (जंगल में अलग आवास)
- पेय: सल्फी
🌿 भतरा जनजाति
- अर्थ: सेवक
- देवी: माती देव (शिकार देवी)
- भाषा: भतरी
- ऐतिहासिक संबंध: काकतीय वंश
🌿 भुंजिया जनजाति
- उपचार पद्धति: तपते लोहे से दागना
- विकास: भुंजिया विकास अधिकरण द्वारा
🌿 बिरहोर जनजाति
- अर्थ: वनचर
- निवास: रायगढ़, जशपुर
- संदर्भ: “The Birhor” – S.C. Roy
🌿 पारधी जनजाति
- पेशा: आखेट (शिकार)
- विशेष: काले पक्षियों का शिकार
🌿 कोरकू जनजाति
- अर्थ: जमीन खोदने वाला
- नृत्य: थापड़ी, ढाढ़ल
- उपजातियाँ: मोवासी, बवारी, रूमा आदि
🌿 कोया / दोरला / कोयतुर
- गोंड की उपजाति
- व्यवसाय: कत्था उत्पादन
- क्षेत्र: बस्तर, सुकमा
🌿 खैरवार जनजाति
- मान्यता: अभिजात्य वर्ग, जनेऊधारी
- मूल स्थान: खरियागढ़ (कैमूर पहाड़ियाँ)
🌿 भैना जनजाति
- मिश्र प्रजाति: बैगा + कंवर
- क्षेत्र: बिलासपुर, रायगढ़, बस्तर
🌿 हल्बा जनजाति
- उत्पत्ति: हलवाहक
- उपजातियाँ: बस्तरिया, भतेथिया, छत्तीसगढ़िया
- भाषा पर प्रभाव: मराठी
🌿 कंवर जनजाति
- उत्पत्ति: महाभारत के कौरव से
- देवता: सगराखंड
- वर्जनाएं: संगोत्री विवाह, विधवा विवाह वर्जित
🌿 सौरा जनजाति
- विशेष: सांप पकड़ना
- मान्यता: शबरी की संतान
🌿 पंडो जनजाति
- निवास: सरगुजा
- विकास योजना: पंडो विकास अधिकरण
निष्कर्ष:
छत्तीसगढ़ की जनजातियाँ अपनी संस्कृति, परंपराओं और लोक-विश्वासों के साथ इस राज्य की पहचान हैं। उनकी भाषाएँ, देवी-देवता, नृत्य, त्योहार और सामाजिक व्यवस्थाएं इस बात का प्रमाण हैं कि आदिवासी जीवनशैली प्रकृति, धर्म और सामुदायिक जीवन से कितनी गहराई से जुड़ी है।