🌿 कंवर जनजाति: कौरव वंशजों की कृषक परंपरा
छत्तीसगढ़ की प्रमुख जनजातियों में कंवर जनजाति का महत्वपूर्ण स्थान है। यह जनजाति अपनी महाभारतकालीन वंश परंपरा, कृषक जीवनशैली, और सामाजिक अनुशासन के लिए जानी जाती है। ये स्वयं को महाभारत के कौरवों का वंशज मानते हैं, जिससे इनकी जातीय पहचान और सांस्कृतिक गौरव जुड़ा है।
📍 निवास क्षेत्र
कंवर जनजाति छत्तीसगढ़ के निम्न जिलों में निवास करती है:
- बिलासपुर
- रायपुर
- रायगढ़
- जांजगीर-चांपा
- सरगुजा
🧬 वंश परंपरा और उत्पत्ति
कंवर जनजाति महाभारत के कौरव वंश से अपनी उत्पत्ति मानती है। यह विश्वास उन्हें गौरव और पहचान दोनों प्रदान करता है।
🌾 मुख्य व्यवसाय
- कंवर जनजाति का पारंपरिक कार्य कृषि और कृषि मजदूरी है।
- वे धान, कोदो, कुटकी, तिल आदि की खेती करते हैं।
- ये जंगलों से लकड़ी, फल एवं अन्य संसाधनों को भी एकत्रित करते हैं।
🙏 धार्मिक विश्वास
- इनका मुख्य देवता है: सगराखंड
(यह देवता उनके कुलदेवता या ग्राम रक्षक के रूप में पूजे जाते हैं।)
🔗 सामाजिक परंपराएँ और नियम
सामाजिक नियम | विवरण |
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संगोत्री विवाह वर्जित | एक ही गोत्र में विवाह निषिद्ध है |
विधवा विवाह वर्जित | समाज में विधवा विवाह को मान्यता नहीं है |
कुल-गोत्र पर आधारित जातीय अनुशासन | इनकी समाज संरचना में कुल और गोत्र का विशेष महत्व है |
🗣️ भाषा और संस्कृति
- ये छत्तीसगढ़ी बोली बोलते हैं।
- इनके लोक गीत, त्योहार और नृत्य कृषि ऋतु, देव पूजा और पारंपरिक रीति-रिवाजों से जुड़े होते हैं।
📝 संक्षिप्त तथ्य: कंवर जनजाति
बिंदु | विवरण |
---|---|
निवास क्षेत्र | बिलासपुर, रायपुर, रायगढ़, जांजगीर-चांपा, सरगुजा |
उत्पत्ति | महाभारत के कौरवों से |
प्रमुख देवता | सगराखंड |
व्यवसाय | कृषक एवं कृषक मजदूर |
विशेष नियम | संगोत्री विवाह वर्जित, विधवा विवाह वर्जित |
प्रमुख भाषा | छत्तीसगढ़ी |