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छत्तीसगढ़ का भू-गर्भिक संरचना

क. आद्य महाकल्प शैल समूह :-
प्राप्ति:
- जशपुर जिले की कुनकुरी तथा बागीचा तहसीलों,
- सरगुजा जिले के सूरजपुर तथा रामानुजगंज तहसीलों के उत्तरी भाग के कुछ क्षेत्रों,
- बिलासपुर जिले के उत्तरी क्षेत्र पेण्ड्रा रोड तथा कोटा तहसीलों में,
- कोरबा जिले के अन्तर्गत कटघोरा में,
- पूर्वी राजनांदगाँव, दक्षिणी दुर्ग,
- महासमुन्द तथा धमतरी जिले के दक्षिणी भाग,
- कांकेर और दंतेवाड़ा जिले की बीजापुर, कोन्टा तथा भोपाल पट्टनम तहसीलों में
शामिल चट्टानें:
- इस समूह में अवर्गीकृत क्रिस्टलीय नाइस तथा ग्रेनाइट चट्टानें सम्मिलित हैं।
ख. धारवाड़ अथवा कायान्तरित अवसादी शैल समूह :-
प्राप्ति:
- सरगुजा जिले के उत्तरी भाग में
- बिलासपुर जिले में पेण्ड्रा के कुछ भाग में,
- रायगढ़ जिले के पूर्वी लैलुंगा क्षेत्र में,
- रायपुर जिले के दक्षिण बिलाईगढ़ तहसील के सोनाखान तथा देवरी क्षेत्र में,
- राजनांदगाँव जिले के उत्तरी पश्चिमी भाग में तथा दुर्ग जिले के दक्षिणी भाग में ।
- दण्डकारण्य में , जैसे दन्तेवाड़ा में बैलाडीला की पहाड़ी, नारायणपुर में अबूझमाड़ पहाड़ी के उत्तर में , रावघाट पहाड़ी और नारायणपुर, भनुप्रतापपुर में आरीडोंगरी आदि पहाड़ियाँ।
महत्त्व :
लौह अयस्क के संचित भण्डार के कारण ।
ग. कडप्पा शैल समूह :
- छत्तीसगढ़ बेसिन के अधिकांश में विस्तृत कडप्पा शैल समूह
- विस्तार बेसिन के अतिरिक्त जगदलपुर के आस-पास ।
- कडप्पा शैल समूह के दो मुख्य भाग है : निचली चन्द्रपुर सीरीज तथा ऊपरी रायपुर सीरीज।
निचली चन्द्रपुर सीरीज
- चन्द्रपुर सीरीज 60 से 300 मीटर मोटी है।
- इसमें बलुआ पत्थर, क्वार्टजाइट तथा कांग्लोमिरेट चट्टानें पाई जाती हैं।
ऊपरी रायपुर सीरीज
- रायपुर सीरीज के अन्तर्गत मुख्य रूप से शैल तथा चूना पत्थर की चट्टानें मिलती हैं।
- इसमें चूना पत्थर संस्तर की मोटाई कहीं-कहीं 650 मीटर तक है।
- यहाँ का चूना पत्थर सीमेंट ग्रेड का है जो प्रदेश में सीमेंट उद्योग के विकास का मुख्य आधार है।
घ. गोंडवाना शैल समूह :
गोंडवाना शैल समूह का निर्माण ऊपरी कार्बोनिफेरस युग से जुरासिक युग के बीच हुआ है।
(1) निचला गोंडवाना समूह :-
- कोरबा जिले के उत्तरी पूर्वी भाग,
- कटघोरा तहसील के उत्तरी भाग के कुछ क्षेत्रों,
- रायगढ़ जिले के उत्तर पश्चिम तथा
- मध्य भाग अर्थात घरघोड़ा तथा धरमजयगढ़ तहसील तथा कोरिया जिले के दक्षिणी भाग तथा सरगुजा जिले के कुछ भाग में पाई जाती हैं।
(2) ऊपरी गोंडवाना समूह :-
- कोरिया जिले के उत्तरी भाग,
- कोरबा तथा रायगढ़ जिले के उत्तरी मध्य भाग
- मुख्यतः बालुका पत्थर, शेल तथा कोयले के संचित भण्डार पाये जाते हैं, जिससे इनका आर्थिक महत्त्व अधिक है।
ड. दक्कन ट्रैप :-
- प्रदेश के बिलासपुर एवं राजनांदगाँव जिले के मैकल श्रेणी के पूर्वी भाग तथा कोरिया जिले के मनेन्द्रगढ़ में विस्तृत हैं। इनमें बेसाल्ट की तहें मुख्य रूप से क्षैतिजिक हैं।
धारवाड़ शैल समूह :-
- अवसादी चट्टानें आर्कियाँ चट्टानों के अपरदन से निर्मित
- इसमें भी जीवाश्म नहीं होता है . धारवाड़ चट्टानें कृषि के लिए अनुपयुक्त है
- इस प्रदेश लौह अयस्क की प्राप्ति होती है .
- छत्तीसगढ़ की बाह्य सीमा पर चारो ओर धारवाड़ क्रम का विकास है इसकी 3 सीरिज है
अ. बिलासपुर संभाग में चिल्फी घाटी .
ब. रायपुर संभाग में सोनाखान सीरिज .
स. दुर्ग – बस्तर संभाग में लौह अयस्क सीरिज .
कडप्पा शैल समूह :- ग्रेनाईट चट्टानों के अपरदन से कडप्पा शैल समूह का निर्माण हुआ है ,पंखाकर आकृति में इन्ही चट्टानों से छत्तीसगढ़ के मैदान का निर्माण हुआ है . यह छात्तास्गढ़ में लगभग 20 – 30 % भू भाग में फैला हुआ है .
- रायपुर श्रेणी और चंद्रपुर
- इसमें स्लेट , चूनापत्थर , डोलोमाईट , एवं क्वार्टज़ खनिज पाए जाते है
- कडप्पा समूह में निक्षेपित कछारी मिटटी धान की खेती के लिए सर्वोत्तम है .
- विध्यन शैल समूह :- कडप्पा काल के बाद इसका निर्माण हुआ है , इसमें चुना पत्थर , बलुआ पत्थर पाया जाता है यह चट्टानें रायपुर , बालोद , और जगदलपुर के क्षेत्रों में पाया जाता है .
- प्री – कैम्ब्रियन शैल समूह :- ज्वालामुखी उद्भेदन से कडप्पा समूह के दक्षिण -पश्चिम भाग में इसका निर्माण हुआ ,यह दुर्ग , बालोद जिला और राजनंदगांव के कुछ क्षेत्रों में पाया जाता है.
दक्कन ट्रैप :-
- दरारी ज्वालामुखी से निकले बेसाल्ट युक्त लावा से दक्कन ट्रैप शैल समूह का निर्माण हुआ है दक्कन ट्रैप के अपरदन से कलि मिटटी का निर्माण हुआ है .
- छत्तीसगढ़ में दक्कन ट्रैप मैकल पर्वत श्रेणी के पूर्वी भाग तक पाया जाता है .
- इसका विस्तार कोरबा , कवर्धा, सरगुजा एवं जशपुर तक पाया जाता है .
- गोंडवाना शैल समूह :-
- नदियों के अवसादों से युगों से जमे वनस्पत्ति एवं जीवों के अवशेष से एन चात्तानोंका निर्माण हुआ है
- 17 % भाग में गोंडवाना शैल समूह का विस्तार है .
- उपरी गोंडवाना शैल क्रम मनेन्द्रगढ़ , बैकुंठपुर, जशपुर आदि में विस्तार है
- निचली गोंडवाना शैल क्रम सरगुजा , कटघोरा, कोरबा , खरसिया, रायगढ़ आदि में विस्तार है .
- लेटेराइट दक्कन के क्षरण से बनता है इसमे फसल की उत्पादकता कम होती है .