गरियाबंद: एसपी बंगले में तेंदुए की दस्तक, वन विभाग और प्रशासन के लिए नई चुनौती

Gariaband: Leopard enters SP bungalow, new challenge for forest department and administration

गरियाबंद: एसपी बंगले में तेंदुए की दस्तक, वन विभाग और प्रशासन के लिए नई चुनौती

Gariaband: Leopard enters SP bungalow, new challenge for forest department and administration
Gariaband: Leopard enters SP bungalow, new challenge for forest department and administration

छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले में वन्यजीवों की बढ़ती हलचल एक गंभीर समस्या बनती जा रही है। मंगलवार रात को जिले के पुलिस अधीक्षक (एसपी) निखिल कुमार राखेचा के सरकारी बंगले में तेंदुए के घुसने की घटना ने सुरक्षा और वन्यजीव प्रबंधन को लेकर कई सवाल खड़े कर दिए हैं।

कैसे हुआ यह वाकया?

मंगलवार रात को पुलिस लाइन कॉलोनी के फेस-1 के मुख्य गेट से एक तेंदुआ दाखिल हुआ और सीधे एसपी निखिल कुमार राखेचा के सरकारी बंगले में पहुंच गया। घटना के समय एसपी बंगले में मौजूद थे, जिससे स्थिति और भी गंभीर हो गई। बंगले में तेंदुए के प्रवेश से पुलिस और वन विभाग के कर्मचारियों की सांसें थम गईं।

वन विभाग और पुलिस की त्वरित कार्रवाई

घटना की सूचना मिलते ही वन विभाग और पुलिस की टीमें तुरंत मौके पर पहुंचीं। हालांकि, इससे पहले कि कोई एक्शन लिया जा सके, तेंदुआ बंगले की पिछली दीवार फांदकर जंगल की ओर भाग गया। घटना के दौरान पूरे परिसर में दहशत का माहौल बना रहा।

शहर में बढ़ रहा है वन्यजीवों का खतरा

गरियाबंद जिले में वन्यजीवों की हलचल बढ़ने से नागरिकों में डर का माहौल है। खासकर एसपी बंगले के पास स्थित जिला कार्यालय और पुलिस कॉलोनी में तेंदुए की आमद ने सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंताएं पैदा कर दी हैं।

वन विभाग और प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती

इस घटना ने वन विभाग और प्रशासन को सतर्क कर दिया है। यह स्पष्ट है कि जंगलों में घटते संसाधनों के कारण वन्यजीव अब रिहायशी इलाकों की ओर बढ़ रहे हैं। प्रशासन के लिए यह घटना वन्यजीवों के प्रबंधन और नागरिक सुरक्षा को लेकर एक बड़ी चुनौती बन सकती है।

नागरिकों की सुरक्षा के लिए उठाए जाने वाले कदम

  • सीसीटीवी कैमरों की निगरानी: कॉलोनी और संवेदनशील इलाकों में सीसीटीवी कैमरे लगाने की जरूरत है।
  • वन्यजीवों के लिए भोजन और पानी की व्यवस्था: जंगलों में पर्याप्त भोजन और पानी की उपलब्धता सुनिश्चित करना होगा।
  • वन विभाग की त्वरित प्रतिक्रिया टीम: ऐसे मामलों के लिए वन विभाग को विशेष प्रतिक्रिया टीम बनानी चाहिए।

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