पटाखों को लेकर सरकार ने उठाया कदम , हरित पटाखे पर होगा जोर

  • पटाखों को लेकर सरकार ने उठाया कदम , हरित पटाखे पर होगा जोर
  • राज्य में हरित पटाखों का ही होगा विक्रय एवं उपयोग, दीवाली में 2 घंटे ही फोड़ सकेंगे पटाखे

जानिए हरित पटाखे के बारे में :

‘पर्यावरण के अनुकूल कम वायु तथा ध्वनि प्रदूषण पैदा करने पटाखों को हरित पटाखा कहा जाता है. जिसे पहली बार वर्ष 2018 में वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) के तत्त्वावधान में राष्ट्रीय पर्यावरण एवं इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्थान (NEERI) द्वारा डिज़ाइन किया गया था।

हरित पटाखे में क्या होता है ?

अधिकांश हरित पटाखों में बेरियम नाइट्रेट नहीं होता है, जो पारंपरिक पटाखों में सबसे खतरनाक घटक है। ये पटाखे शोर की तीव्रता और उत्सर्जन को कम करने के उद्देश्य से पारंपरिक पटाखों में कुछ खतरनाक कारकों को कम प्रदूषणकारी पदार्थों से बदल देते हैं।

हरित पटाखे मैग्नीशियम और बेरियम के बजाय पोटेशियम नाइट्रेट व एल्युमिनियम जैसे वैकल्पिक रसायनों के साथ-साथ आर्सेनिक एवं अन्य हानिकारक प्रदूषकों के बजाय कार्बन का उपयोग करते हैं।

हरित पटाखों के उपयोग पर उच्चतम न्यायालय तथा नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के निर्देश

दीपावली, छठ पूजा, गुरु पर्व तथा नया वर्ष/क्रिसमस के लिए राज्य में केवल हरित पटाखों का उपयोग एवं विक्रय ही हो सकेगा। साथ ही दीपावली, छठ, गुरू पर्व, नया वर्ष/ क्रिसमस के अवसर पर पटाखों को फोड़ने के लिए दो घंटे की अवधि निर्धारित की गई है। उच्चतम न्यायालय तथा नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल की मार्गदर्शिका के मुताबिक पटाखों के उपयोग के संबंध में निर्देशों का कड़ाई से पालन करने  जिला प्रशासन के अधिकारियों को निर्देशित किया है।

दीपावली, छठ पूजा, गुरु पर्व, नया वर्ष/ क्रिसमस के मौके पर दो घंटे की अवधि पटाखे फोड़ने के लिए निर्धारित की गई है। दीपावली के लिए रात्रि 8 बजे से रात्रि 10 बजे तक, छठ पूजा के लिए सुबह छह बजे से सुबह 8 बजे तक, गुरु पर्व के लिए रात 8 बजे से रात 10 बजे तक समय निर्धारित किया गया है।

क्रिसमस/नया वर्ष के लिए रात्रि 11 बजकर 55 मिनट से रात्रि 12 बजकर 30 मिनट का समय निर्धारित किया गया है। शीत ऋतु में प्रदूषण की स्थिति को देखते हुए वायु (प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण) अधिनियम 1981 की धारा 19 की उपधारा 5 के अधीन प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए राज्य सरकार द्वारा रायपुर, बिलासपुर, भिलाई-दुर्ग, रायगढ़ एवं कोरबा के नगरीय क्षेत्रों में 1 दिसंबर से 31 जनवरी तक की अवधि में पटाखों का जलाया जाना प्रतिबंधित किया गया है।


उच्चतम न्यायालय द्वारा 23 नवंबर 2018 को पारित आदेश के मुताबिक पटाखों के उपयोग के संबंध में कुछ अन्य निर्देश भी दिये गये हैं। इनमें कम प्रदूषण उत्पन्न करने वाले इम्प्रूव्ड एवं हरित पटाखों की बिक्री केवल लाइसेंस्ड ट्रेडर द्वारा किये जाने के निर्देश दिये गये हैं।

अन्य पटाखों पर प्रतिबन्ध

साथ ही केवल उन्हीं पटाखों को उपयोग के लिए बाजार में बेचा जा सकेगा जिनसे उत्पन्न ध्वनि का स्तर निर्धारित सीमा के भीतर हो। सीरीज पटाखे अथवा लड़ियों की बिक्री, उपयोग एवं निर्माण प्रतिबंधित किया गया है।

पटाखों के ऐसे निर्माताओं का लाइसेंस भी रद्द करने के निर्देश दिये गये हैं जिनके द्वारा पटाखों में लीथियम, आर्सेनिक, एन्टिमनी, लेड एवं मर्करी का उपयोग किया गया है। आनलाइन अर्थात ई-व्यापारिक वेबसाइटों जैसे फ्लिपकार्ट, अमेजान आदि से पटाखों की बिक्री प्रतिबंधित रहेगी। उक्त निर्देशों के कड़ाई से पालन के निर्देश जिला प्रशासन को दिये गये हैं।

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