छत्तीसगढ़ पंचायती राज व्यवस्था

संविधान के  73 वें संशोधन द्वारा पंचायती राज व्यवस्था को सभी राज्य में अनिवार्य रूप से लागु करने का प्रावधान किया गया है .छत्तीसगढ़ सहित एक्किकृत मध्यप्रदेश देश का प्रथम राज्य था जहाँ 73 वें एवं 74 वें संविधान संशोधन के अनुरूप पंचायती राज व्यवस्था एवं नगरीय स्वशासन की व्यवस्था लागु की गया थी.

छत्तीसगढ़ पंचायती राज व्यवस्था

छत्तीसगढ़ पंचायती राज अधिनियम :-

  • 30 दिसम्बर 1993  मध्यप्रदेश पंचायत राज अधिनियम 1993 विधानसभा में पारित
  • 24 जनवरी 1994 को राज्यपाल का अनुमोदन .
  • 25 जनवरी 1994  को राजपत्र में प्रकाशन .
  • 7 जून 2001 छत्तीसगढ़ शासन ने विधियों के अनुकूल आदेश 2001 बनाया.
  • 18 जून 2001 को विधियों के अनुकूल आदेश राजपत्र में प्रकाशित .
  • 1 नवम्बर 2000 छत्तीसगढ़ में विधियों के अनुकूलन आदेश 2001 प्रवृत्त .   

पंचायतों की संख्या:-

  •         जिला पंचायतों की संख्या   –  27
  •         जनपद पंचायतों की संख्या   –  146  
  •         ग्राम पंचायतों की संख्या    – 10968 

पंचायतों की संरचना :-

प्रदेश  में  पंचायती राज का त्रि-स्तरीय ढांचा है जिलों में जिला पंचायत ,प्रत्येक विकासखंड में जनपद पंचायत और एक अथवा अधिक गांवों को मिलकर एक ग्राम पंचायत का निर्माण होता है 

जिला पंचायत – प्रत्येक जिले में जिला पंचायत के गठन का प्रावधान किया गया है इसके पदाधिकारी अध्यक्ष,उपाध्यक्ष और सदस्य.

जनपद पंचायत -विकासखंड में जनपद पंचायत के गठन का प्रावधान किया गया है इसके भी पदाधिकारी भी अध्यक्ष , उपाध्यक्ष  और सदस्य है .

ग्राम पंचायत – एक या एक से अधिक राजस्व ग्रामों को मिलाकर एक ग्राम पंचायत के गठन का प्रावधान किया गया है तथा इसके पदाधिकारी सरपंच, उप-सरपंच और पंच होते है.

कार्यकाल  – पंचायतों का कार्यकाल 5 वर्ष निर्धारित किया गया है, समय पूर्व रिक्त या पंचायत भंग होने पर 6 माह के भीतर ही निर्वाचन का प्रावधान किया गया है .

आरक्षण – जनसँख्या के आधार पर अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षण का प्रावधान किया गया है, 50%  आरक्षण महिलायों के लिया किया गया है तथा वर्ग वार पृथक किया गया है .

निर्वाचन के लिए आपत्रता :- 

  • जो साक्षर नहीं है 
  • जिसके निवास परिसर में निर्वाचित होने के 1 वर्ष बाद शौचालय नही है .
  • पंचायत के देनदारी को 30 दिन के भीतर जमा नहीं करने पर .
  • किसी पंचायत अथवा शासकीय भूमि या भवन पर अतिक्रमण किया हो .
  • कोई व्यक्ति एक से अधिक वार्डों या निर्वाचन क्षेत्र से खड़ा होने पर .

नगरीय प्रशासन :-

  • विधानसभा द्वारा म.प्र. नगरपालिका व् पंचायती राज विधेयक 1993 पारित किया गया था .
  • नगर निगम – संख्या -12 , वृहद् नगरों के लिए नगर निगम के गठन का प्रावधान किया गया है . इसके पदाधिकारी महापौर और पार्षद होते है तथा प्रशासनिक अधिकारी नगर निगम                             आयुक्त होते है  .रायपुर, बिलासपुर , कोरबा, दुर्ग, राजनंदगांव, भिलाई, रायगढ़, अंबिकापुर, जगदलपुर, चिरमिरी, धमतरी एवं बीरगांव.
  • नगर पालिका – संख्या – 44 , छोटे नगरीय क्षेत्रों के लिए जिनकी जनसँख्या 20000 से अधिक है.इसके पदाधिकारी अध्यक्ष होते है  
  • नगर पंचायत – संख्या – 113 सबसे छोटी इकाई , ऐसे संक्रमण शील नगर जिनकी जनसँख्या 500 – 20,000 हो .इसके पदाधिकारी भी अध्यक्ष होते है .

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