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छत्तीसगढ़ की प्रशासनिक व्यवस्था
छत्तीसगढ़ की प्रशासनिक व्यवस्था को विभिन्न स्तरों पर समझा जा सकता है:
1. राज्य स्तर:
- कार्यपालिका:
- राज्यपाल: राज्य के संवैधानिक प्रमुख होते हैं, जिनकी नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है। वर्तमान में श्री रमेन डेका छत्तीसगढ़ के राज्यपाल हैं।
- मुख्यमंत्री: सरकार के प्रमुख होते हैं और वास्तविक कार्यकारी शक्तियां इन्हीं के पास होती हैं। वर्तमान में श्री विष्णु देव साय छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री हैं।
- मंत्रिपरिषद: मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में विभिन्न विभागों के मंत्री होते हैं, जो सरकार की नीतियों और कार्यक्रमों को लागू करने में सहायता करते हैं।
- मुख्य सचिव: राज्य के प्रशासनिक मुखिया होते हैं, जो राज्य प्रशासन के सुचारू संचालन के लिए जिम्मेदार होते हैं।
- विधानपालिका:
- विधानसभा: यह राज्य का एक सदनीय विधायिका है, जिसमें निर्वाचित सदस्य (विधायक) होते हैं। छत्तीसगढ़ विधानसभा में 90 निर्वाचित और 1 मनोनीत सदस्य सहित कुल 91 सीटें हैं। इसका मुख्य कार्य कानून बनाना और सरकार की नीतियों पर नियंत्रण रखना है।
- न्यायपालिका:
- उच्च न्यायालय: छत्तीसगढ़ का उच्च न्यायालय बिलासपुर में स्थित है, जो राज्य का सर्वोच्च न्यायिक निकाय है।
2. संभागीय स्तर:
छत्तीसगढ़ को 5 संभागों में विभाजित किया गया है:
- रायपुर
- दुर्ग (सबसे नवीन और क्षेत्रफल की दृष्टि से सबसे छोटा संभाग)
- बिलासपुर (जनसंख्या की दृष्टि से सबसे बड़ा संभाग)
- सरगुजा
- बस्तर (जनसंख्या की दृष्टि से सबसे छोटा संभाग)
प्रत्येक संभाग का नेतृत्व एक संभागीय आयुक्त करता है, जो अपने संभाग में राजस्व और सामान्य प्रशासन की देखरेख करता है।
3. जिला स्तर:
राज्य में वर्तमान में 33 जिले हैं। प्रत्येक जिले का प्रशासनिक प्रमुख जिला कलेक्टर (District Collector) होता है, जो जिले में कानून और व्यवस्था बनाए रखने, राजस्व संग्रह करने और विभिन्न सरकारी योजनाओं को लागू करने के लिए जिम्मेदार होता है। जिला कलेक्टर को जिला मजिस्ट्रेट की शक्तियां भी प्राप्त होती हैं।
4. उपखंड/अनुभाग स्तर:
जिले को उपखंडों या अनुभागों में विभाजित किया जाता है, जिसका नेतृत्व अनुविभागीय अधिकारी (एसडीओ) या अनुविभागीय मजिस्ट्रेट (एसडीएम) करते हैं। वे अपने उपखंड में जिला कलेक्टर की सहायता करते हैं। वर्तमान में राज्य में 117 अनुभाग हैं।
5. तहसील स्तर:
प्रत्येक उपखंड को तहसीलों में विभाजित किया जाता है, जिसका प्रशासनिक प्रमुख तहसीलदार होता है। तहसीलदार राजस्व प्रशासन और भूमि रिकॉर्ड के रखरखाव के लिए जिम्मेदार होता है। वर्तमान में राज्य में 246 तहसील हैं।
6. राजस्व निरीक्षक मंडल स्तर:
यह स्तर तहसीलों के अंतर्गत आता है, जहाँ राजस्व निरीक्षक अपने मंडल में राजस्व संबंधी कार्यों की देखरेख करते हैं। राज्य में 730 राजस्व निरीक्षक मंडल हैं।
7. पटवारी हल्का स्तर:
यह प्रशासन की सबसे निचली इकाई है, जिसमें एक या अधिक गांव शामिल होते हैं और एक पटवारी इसका प्रशासनिक अधिकारी होता है, जो भूमि रिकॉर्ड और राजस्व संग्रह से संबंधित कार्यों को देखता है। राज्य में 5792 पटवारी हल्के हैं।
8. ग्राम पंचायत/शहरी स्थानीय निकाय:
ग्रामीण क्षेत्रों में ग्राम पंचायतें और शहरी क्षेत्रों में नगर निगम, नगर पालिकाएँ और नगर पंचायतें स्थानीय स्वशासन की इकाइयाँ हैं, जो अपने-अपने क्षेत्रों में विकास कार्य और नागरिक सेवाएं प्रदान करती हैं। राज्य में 20260 गांव हैं।
इस प्रकार, छत्तीसगढ़ की प्रशासनिक व्यवस्था एक सुव्यवस्थितhierarchy में काम करती है, जिसमें राज्य स्तर पर नीतियां बनती हैं और उन्हें विभिन्न स्तरों के माध्यम से जमीनी स्तर पर लागू किया जाता है।