गुरु घासीदास-तमोर पिंगला टाइगर रिजर्व में गूंजी रेस्क्यू किए गए बाघ की दहाड़
छत्तीसगढ़ के कसडोल नगर के पारस नगर सेक्टर से रेस्क्यू किए गए नर बाघ को सुरक्षित तरीके से गुरु घासीदास-तमोर पिंगला टाइगर रिजर्व के कोर क्षेत्र में छोड़ दिया गया है। यह क्षेत्र छत्तीसगढ़ का नवगठित टाइगर रिजर्व है, जो 2829.387 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है।
इसमें 1254.586 वर्ग किलोमीटर आरक्षित वन, 1438.451 वर्ग किलोमीटर संरक्षित वन, और 136.35 वर्ग किलोमीटर राजस्व क्षेत्र शामिल हैं।
रेस्क्यू का पूरा घटनाक्रम
बलौदाबाजार वनमंडल के कसडोल तहसील में बीते 8 महीनों से एक नर बाघ बारनवापारा वन क्षेत्र में विचरण कर रहा था। हाल ही में यह बाघ कसडोल तहसील के ग्राम कोट तक पहुंच गया, जिससे स्थानीय निवासियों में भय उत्पन्न हुआ। वन विभाग की टीम ने त्वरित कार्रवाई करते हुए आवश्यक सामग्री और वन्यप्राणी चिकित्सा विशेषज्ञों के साथ मौके पर पहुंचकर बाघ को सुरक्षित रेस्क्यू किया।
प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी) के निर्देश पर, इस बाघ को 27 नवंबर 2024 की सुबह 8 बजे गुरु घासीदास-तमोर पिंगला टाइगर रिजर्व के कोर क्षेत्र में छोड़ा गया।
गुरु घासीदास-तमोर पिंगला टाइगर रिजर्व की विशेषताएं
- भारत का 56वां टाइगर रिजर्व: यह देश का 56वां और आंध्र प्रदेश के नागार्जुनसागर-श्रीशैलम और असम के मानस टाइगर रिजर्व के बाद तीसरा सबसे बड़ा टाइगर रिजर्व है।
- विशाल क्षेत्रफल: 2829.38 वर्ग किलोमीटर में फैला यह टाइगर रिजर्व छत्तीसगढ़ के मनेंद्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर, कोरिया, सूरजपुर, और बलरामपुर जिलों में फैला है।
- कोर क्षेत्र: इसमें 2049.2 वर्ग किलोमीटर का कोर/क्रिटिकल टाइगर हैबिटेट शामिल है, जिसमें गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान और तमोर पिंगला वन्यजीव अभयारण्य आते हैं।
- वन्यजीव संरक्षण: यह टाइगर रिजर्व छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) की सलाह पर अधिसूचित किया गया है।
कार्यक्रम में उपस्थित प्रमुख अधिकारी
रेस्क्यू किए गए बाघ को छोड़ने के अवसर पर कई वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे, जिनमें मुख्य वन संरक्षक (वन्यप्राणी), क्षेत्र संचालक उदंती-सीतानदी टाइगर रिजर्व रायपुर, संचालक गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान बैकुंठपुर, कानन पेंडारी-जू के पशु चिकित्सा अधिकारी, और छत्तीसगढ़ राज्य वन्यजीव बोर्ड के सदस्य शामिल थे।
मुख्यमंत्री का संदेश
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय ने इस पहल को राज्य में बाघ संरक्षण और संवर्धन के लिए एक महत्वपूर्ण कदम बताया। उन्होंने कहा कि गुरु घासीदास-तमोर पिंगला टाइगर रिजर्व का गठन, राज्य की जैव विविधता को संरक्षित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।