छत्तीसगढ़ के प्रमुख पारंपरिक त्योहार: संस्कृति, परंपरा और लोक आस्था का उत्सव
छत्तीसगढ़ एक ऐसा राज्य है जहाँ हर ऋतु, हर महीने कोई न कोई पर्व, उत्सव या धार्मिक अनुष्ठान लोकजीवन से जुड़ा होता है। यहाँ के त्योहार केवल पूजा-पाठ तक सीमित नहीं होते, बल्कि कृषि, प्रकृति, परंपरा और जनमानस की आस्था से जुड़े होते हैं।
🌾 छत्तीसगढ़ के प्रमुख पारंपरिक त्योहार: संस्कृति, परंपरा और लोक आस्था का उत्सव
यहाँ हम छत्तीसगढ़ में मनाए जाने वाले प्रमुख त्योहारों को हिंदू पंचांग की तिथियों के अनुसार प्रस्तुत कर रहे हैं:
🌸 चैत्र मास
- रामनवमी (चैत्र शुक्ल नवमी): भगवान श्रीराम के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है।
🌼 वैशाख मास
- अक्ती / अक्षय तृतीया (वैशाख शुक्ल तृतीया): इसे बोवाई (धान बुवाई) के शुभारंभ के रूप में भी मनाया जाता है।
🌿 आषाढ़ मास
- रथयात्रा (आषाढ़ शुक्ल द्वितीया): भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा का उत्सव।
🌾 श्रावण मास
- हरेली (श्रावण अमावस्या): कृषि यंत्रों, बैलों और खेतों की पूजा का पर्व।
- नाग पंचमी (श्रावण शुक्ल पंचमी): सर्पों की पूजा की जाती है।
- रक्षाबंधन (श्रावण पूर्णिमा): भाई-बहन के प्रेम का पर्व।
🌻 भाद्रपद मास
- भोजली (भादों कृष्ण प्रतिपदा): महिलाएं भोजली बोकर समूह में गीत गाती हैं।
- कमरछठ / हल षष्ठी (भादों कृष्ण षष्ठी): माताओं द्वारा संतान की लंबी उम्र की कामना।
- कृष्ण जन्माष्टमी (भादों कृष्ण अष्टमी): भगवान कृष्ण का जन्मोत्सव।
- पोला (भादों अमावस्या): बैलों की पूजा व गाँव में पोला दौड़।
- तीजा / हरतालिका (भादों शुक्ल तृतीया): सुहागिन स्त्रियों का उपवास।
- गणेश चतुर्थी (भादों शुक्ल चतुर्थी): गणपति की स्थापना व पूजा।
🔥 क्वांर मास
- पितृपक्ष / श्राद्ध (क्वांर कृष्ण पक्ष): पूर्वजों की तर्पण क्रिया।
- नवरात्रि (क्वांर शुक्ल 1-9): देवी दुर्गा की पूजा।
- विजयादशमी (क्वांर शुक्ल दशमी): बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व।
- शरद पूर्णिमा (क्वांर पूर्णिमा): खीर बनाकर चाँदनी रात में रखी जाती है।
✨ कार्तिक मास
- धनतेरस (कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी): धन और आरोग्य की कामना।
- दीपावली (कार्तिक अमावस्या): दीपों का पर्व।
- गोवर्धन पूजा (कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा): अन्नकूट उत्सव।
- देवउठनी एकादशी (कार्तिक शुक्ल एकादशी): विवाह आदि शुभ कार्य आरंभ।
- आंवला नवमी / पूर्णिमा: आंवले की पूजा व सेवन।
🪔 अगहन मास
- लक्ष्मी पूजा (गुरुवार): विशेष रूप से आर्थिक समृद्धि की कामना से की जाती है।
🎉 पौष मास
- मकर संक्रांति (पौष शुक्ल षष्ठी): सूर्य के उत्तरायण होने की खुशी में मनाया जाता है।
- छेरछेरा (पौष पूर्णिमा): घर-घर जाकर अनाज मांगने का त्योहार, विशेषकर बच्चों के लिए।
🌸 माघ मास
- बसंत पंचमी (माघ शुक्ल पंचमी): माँ सरस्वती की पूजा और वसंत ऋतु का स्वागत।
🕉️ फाल्गुन मास
- महाशिवरात्रि (फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी): भगवान शिव की उपासना का दिन।
- होलिका दहन (फाल्गुन पूर्णिमा): बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक।
🧠 निष्कर्ष
छत्तीसगढ़ के त्योहार न केवल धार्मिक भावनाओं से जुड़े हैं, बल्कि ये लोक संस्कृति, कृषि जीवन और पारिवारिक मूल्यों का भी उत्सव हैं। हर तिथि, हर परंपरा लोगों को प्रकृति और समाज से जोड़ती है। इन त्योहारों को जानना और समझना आने वाली पीढ़ियों को अपनी जड़ों से जोड़ने का सर्वोत्तम तरीका है।