छत्तीसगढ़ की लोककला एवं संस्कृति
छत्तीसगढ़, प्राकृतिक सुंदरता, आदिवासी परंपराओं और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत से भरपूर राज्य है। जैसे भारत विविधताओं का देश है, वैसे ही छत्तीसगढ़ की लोककला और संस्कृति में भी विविधता देखने को मिलती है। वनों से आच्छादित और आदिवासी बहुल इस राज्य में कला और जीवनशैली में प्रकृति, परंपरा और जनजीवन का अनोखा संगम देखने को मिलता है।
🌿 छत्तीसगढ़ की लोककला एवं संस्कृति
🌸 लोक संस्कृति क्या है?
लोक संस्कृति उस परंपरा, रीतियों, गीतों, नृत्यों और व्यवहारों का संग्रह होती है जो आमजन द्वारा जीवन में निभाई जाती है। छत्तीसगढ़ की लोक संस्कृति में लोकनृत्य, लोकगीत, लोकनाट्य, आभूषण, पर्व और व्यंजन विशेष महत्व रखते हैं।
🎶 छत्तीसगढ़ के लोकगीत (Folk Songs of Chhattisgarh)
छत्तीसगढ़ी लोकगीतों की खासियत यह है कि ये गीत मौखिक परंपरा से पीढ़ी-दर-पीढ़ी चलते आ रहे हैं। इनके रचनाकार प्रायः अज्ञात होते हैं, पर इनकी भावनात्मक गहराई और सांस्कृतिक जुड़ाव अमूल्य है।
🔹 लोकगीतों के प्रकार:
📿 धार्मिक एवं पूजात्मक गीत:
- भोजली गीत
- जंवारा गीत
- माता सेवा गीत
- नागपंचमी गीत
- जस गीत
- गौरा-गौरी गीत
🌦 मौसमी लोकगीत:
- सवनाही गीत
- फाग गीत
🎉 उत्सव आधारित लोकगीत:
- सुआ गीत (दीवाली के समय गाया जाता है)
- छेरछेरा गीत
- राउत नाचा दोहे
👰 संस्कार गीत:
- सोहर (जन्म पर)
- पठौनी गीत (विदाई गीत)
- विवाह गीत
❤️ प्रणय गीत:
- ददरिया – सवाल-जवाब शैली का प्रेम गीत
- चंदैनी गीत – लोरिक-चंदा की प्रेम गाथा
- भरथरी गीत – राजा भरथरी और रानी पिंगला की कहानी
🧑🎤 प्रमुख गीतकार और कलाकार:
- पंडवानी (कापालिक शैली): तीजन बाई, शांति बाई, उषा बारले
- पंडवानी (वेदमती शैली): ऋतु वर्मा, पुनाराम निषाद, रेवाराम साहू
- पंथी गीत: देवदास बंजारे
- ददरिया: लक्ष्मण मस्तुरिया, दिलीप षड़ंगी
- चंदैनी गीत: चिंता दास
- भरथरी: सुरूजबाई खांडे
🥁 छत्तीसगढ़ी लोकवाद्य (Folk Musical Instruments)
वाद्ययंत्र | संबंधित गीत |
---|---|
तम्बूरा, करताल, खंजरी | पंडवानी |
मांदर, झांझ, झुमका | पंथी |
टिमकी, ढोलक | चंदैनी |
इकतारा, सारंगी | भरथरी |
गढ़वा बाजा | राउत नाचा |
💃 छत्तीसगढ़ के प्रमुख लोकनृत्य
- सुआ नृत्य – महिलाएं दीपावली पर करती हैं, प्रेम व श्रृंगार भाव लिए।
- पंथी नृत्य – सतनामी समाज का आध्यात्मिक नृत्य।
- राउत नाचा – गोवर्धन पूजा पर बैल और गोधन के प्रति आस्था।
- करमा नृत्य – वृक्ष की पूजा के साथ किया जाने वाला लोकनृत्य।
- डंडा नृत्य, ददरिया नृत्य – सामाजिक मेल-जोल और हर्ष का प्रतीक।
🎨 छत्तीसगढ़ी शिल्प और हस्तकला (Folk Crafts of Chhattisgarh)
- ढोकरा कला (बस्तर): पीतल से बनी मूर्तियाँ
- बाँस शिल्प: टोकरियाँ, सूपा, सजावटी वस्तुएँ
- लकड़ी नक्काशी: मंदिर और घरेलू साज-सज्जा
- माटी शिल्प: दीपक, मूर्तियाँ
- कांसा व पीतल बर्तन: परंपरागत पूजा सामग्रियाँ
🍽️ छत्तीसगढ़ के पारंपरिक व्यंजन
- मुठिया – चावल के आटे से बना व्यंजन
- फरा – चावल के आटे से भाप में पकाया जाता है
- चिला – चावल या बेसन से बना पैनकेक
- बरा – उड़द दाल से बना तला हुआ पकवान
- डुबकी कढ़ी – बेसन की कढ़ी
- खुरमा – मीठा पकवान, विशेषतः त्योहारों पर
- दाल मखनी बुखारा – विशेष स्वाद वाला दाल व्यंजन
🌟 निष्कर्ष
छत्तीसगढ़ की लोककला और संस्कृति प्रकृति, परंपरा और लोकजीवन की जीवंत अभिव्यक्ति है। यहाँ के लोकगीत, नृत्य, शिल्प और भोजन न केवल मनोरंजन और आस्था का साधन हैं, बल्कि वे हमें अपनी जड़ों से जोड़ने का माध्यम भी हैं।